मुंबई, 27 फरवरी
इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता काइनेटिक ग्रीन को वित्त वर्ष 24 में बड़ा वित्तीय झटका लगा, पिछले वर्ष (वित्त वर्ष 23) के 7 करोड़ रुपये की तुलना में इसका घाटा 11 गुना बढ़कर 77 करोड़ रुपये हो गया।
इसके बढ़ते घाटे में सबसे बड़ा योगदान विज्ञापन खर्च में भारी उछाल का रहा, जो वित्त वर्ष 24 में 8.2 गुना बढ़कर 58 करोड़ रुपये हो गया।
इसके अलावा, कर्मचारी लाभ लागत में 52.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे कंपनी के वित्त पर और दबाव पड़ा।
हालांकि खरीद काइनेटिक ग्रीन की सबसे बड़ी लागत बनी हुई है, जो कुल खर्च का 62 प्रतिशत है, लेकिन इसके वित्तीय विवरणों के अनुसार यह लागत वास्तव में 5.4 प्रतिशत घटकर 229 करोड़ रुपये रह गई।
वित्त, परिवहन, कानूनी और यात्रा लागत सहित अन्य खर्चों ने कुल व्यय को 19 प्रतिशत बढ़ाकर 369 करोड़ रुपये कर दिया, जबकि वित्त वर्ष 23 में यह 310 करोड़ रुपये था।
अपने समेकित वित्तीय विवरण के अनुसार, काइनेटिक ग्रीन का परिचालन से राजस्व भी वित्त वर्ष 23 में 301 करोड़ रुपये से घटकर वित्त वर्ष 24 में 291 करोड़ रुपये रह गया।
पुणे स्थित कंपनी का EBITDA मार्जिन (-)20.55 प्रतिशत रहा और इसने राजस्व में प्रत्येक रुपया अर्जित करने के लिए 1.27 रुपये खर्च किए।
रिपोर्टों के अनुसार, ये आंकड़े कंपनी के सामने आने वाली गहरी वित्तीय चुनौतियों को उजागर करते हैं, जो वर्तमान में इलेक्ट्रिक दोपहिया बाजार का लगभग 1 प्रतिशत हिस्सा रखती है।
वित्त वर्ष 24 के अंत तक, कंपनी के पास 169 करोड़ रुपये की चालू संपत्ति थी, जिसमें 2.3 करोड़ रुपये नकद और बैंक बैलेंस शामिल थे।
काइनेटिक ग्रीन ने अब तक कुल 27 मिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई है, जिसमें 25 मिलियन डॉलर ग्रेटर पैसिफ़िक कैपिटल से आए हैं, जिसकी कंपनी में 5.6 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
शेष 91.7 प्रतिशत हिस्सेदारी सह-संस्थापकों सुलज्जा फिरोदिया मोटवानी और रितेश रमेश मंत्री के पास है।
रिपोर्ट बताती है कि स्टार्टअप को आने वाले वर्षों में परिचालन दक्षता में सुधार और राजस्व बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होगी क्योंकि बाजार में इसकी स्थिति अभी भी कमजोर है जबकि भारत में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर सेगमेंट मजबूत बना हुआ है।