नई दिल्ली, 27 फरवरी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि भारत को "वैश्विक पुनर्स्थापन" में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी, क्योंकि नई विश्व व्यवस्था विकसित देशों द्वारा निर्धारित नहीं की जाएगी।
वित्त मंत्री ने राष्ट्रीय राजधानी में एक मीडिया कार्यक्रम में कहा, "विकसित देशों के पास निवेश करने के लिए पैसा है, लेकिन यह उनके लिए पर्याप्त नहीं होगा। व्यापार और प्रौद्योगिकी नई विश्व व्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे और भारत को इसमें भाग लेने की आवश्यकता होगी।"
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत को वैश्विक पुनर्स्थापन में सार्थक योगदान देना होगा, साथ ही प्रति व्यक्ति आय के मामले में सीढ़ी ऊपर जाने और वैश्विक विकास को आगे बढ़ाने वाले व्यवसायिक गंतव्य बनने की दिशा में निरंतर प्रयास करना होगा।
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, "भारत प्रौद्योगिकी की उन्नति के संबंध में बहुत अच्छी स्थिति में है। हम प्रौद्योगिकी के कई पहलुओं में अग्रणी हो सकते हैं। हमने दुनिया को यह साबित कर दिया है कि जहां भी प्रौद्योगिकी की तैनाती की बात आती है, हम इसे बड़े पैमाने पर करते हैं।" उन्होंने कहा, "भारत उन मित्रों की मदद भी कर सकता है जिनके साथ हम अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना चाहते हैं। यह एक तरह का वैश्विक प्रौद्योगिकी समूह भी बना सकता है। भारत के नेतृत्व में ऐसा समूह दुनिया भर में बड़ा बदलाव ला सकता है।" वित्त मंत्री ने आगे कहा कि बहुपक्षीय संस्थाएं और उनका योगदान खत्म होता जा रहा है। इसलिए, कई देशों के लिए द्विपक्षीयता एजेंडे में सबसे ऊपर है। उन्होंने कहा कि भारत को व्यापार और निवेश के लिए ही नहीं बल्कि रणनीतिक संबंधों के लिए भी देशों के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने की जरूरत है।
उन्होंने यह भी कहा कि अगर भारत लगातार खुद को एक ऐसे राष्ट्र के रूप में देखता रहेगा जो अंग्रेजों के जाने के समय था, तो वह आगे नहीं बढ़ सकता। सीतारमण ने कहा, "इसलिए, हम बहुत स्पष्ट हैं कि हम भारतीय विनिर्माण को बढ़ावा देना चाहते हैं। अगर इससे हमारे विनिर्माण में मदद मिलती है तो हम देश में आने वाले उत्पादों को सक्षम बनाएंगे।" वित्त मंत्री ने आर्थिक सुधारों के आह्वान में देश के राज्यों को भी हिस्सा महसूस करने की जरूरत पर प्रकाश डाला। राज्य भारत की बड़ी अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं जो हमें आगे ले जाएंगे। उन्होंने कहा कि इसलिए सुधार सिर्फ केंद्र सरकार का एजेंडा नहीं हो सकता, इसे हर राज्य सरकार को गंभीरता से लेना होगा।