नई दिल्ली, 30 नवंबर
एक प्रमुख जर्मन अध्ययन के अनुसार, SARS-CoV-2, कोविड-19 महामारी के पीछे का वायरस, संक्रमण के बाद वर्षों तक खोपड़ी और मेनिन्जेस में रहता है, जिससे मस्तिष्क पर लंबे समय तक प्रभाव रहता है।
हेल्महोल्ट्ज़ म्यूनिख और लुडविग-मैक्सिमिलियंस-यूनिवर्सिटेट (एलएमयू) के शोधकर्ताओं ने पाया कि SARS-CoV-2 स्पाइक प्रोटीन संक्रमण के बाद चार साल तक मस्तिष्क की सुरक्षात्मक परतों - मेनिन्जेस और खोपड़ी के अस्थि मज्जा में रहता है।
टीम ने पाया कि ये स्पाइक प्रोटीन प्रभावित व्यक्तियों में पुरानी सूजन पैदा करने और न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों के खतरे को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार हैं।
हेल्महोल्ट्ज़ म्यूनिख में इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलिजेंट बायोटेक्नोलॉजीज के निदेशक प्रो. अली एर्तुर्क ने कहा कि दीर्घकालिक न्यूरोलॉजिकल प्रभावों में "तेजी से मस्तिष्क की उम्र बढ़ना शामिल है, जिससे प्रभावित व्यक्तियों में संभावित रूप से पांच से 10 साल के स्वस्थ मस्तिष्क कार्य का नुकसान हो सकता है।"
अध्ययन, सेल होस्ट एंड पत्रिका में प्रकाशित हुआ। सूक्ष्म जीव में लंबे समय तक रहने वाले कोविड के न्यूरोलॉजिकल लक्षण भी हो सकते हैं जैसे सिरदर्द, नींद में खलल और "मस्तिष्क कोहरा" या संज्ञानात्मक हानि।