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बड़े शौक से सुन रहा था ज़माना, तुम्ही सो गए दास्ताँ कहते-कहते

July 30, 2024

चंडीगढ़, 30 जुलाई

दुख की इस घड़ी में वश्ष्ठि परिवार अपने परिवार की बेटी खोने के शोक में है। उनकी मृत्यु ने हमारे दिलों में खालीपन छोड़ दिया है। जिसे शब्दों में बयां करना मुशिकल है। उनका प्यार, स्नेह व समपर्ण हमेशा हमें याद रहेगा। दीदी अपने मायके, ससुराल व समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं। उनकी अनुपस्थिति से हम सभी के दिलों में या यूं कहूं जीवन में एक बड़ा शून्य उत्पन्न हुआ है। हमारे वरिष्ठ व भारद्वाज परिवार के लिए यह बहुत कठिन समय है, एक दूसरे को सहारा देने का प्रयास कर रहे हैं।

हमारे वरिष्ठ परिवार की बेटी नंदरानी जी उस समय गोल्ड मैडलिस्ट रही, जिस समय लडकियों को पढ़ाना इतना आसान न था। 60 के दशक में पंजाब विश्वविद्यालय चण्डीगढ़ से उन्होंने फिजिक्स ऑर्नस में एम.एस.सी. मे स्वर्ण पदक प्राप्त किया। पिता गोपालदास वशिष्ठ जी के सार्थक प्रयासों एवं अपनी अथक मेहनत से उन्होंने परिवार के सम्मान में चार चांद लगा दिए। विवाह उपरान्त श्री जे.आर. शर्मा जी के साथ उनके हर क्षेत्र (सामाजिक, राजनैतिक, धार्मिक) में कंधे से कंधा मिलाकर चली। अपनी सहजता एवं समपर्ण के कारण भारद्वाज (शर्मा) परिवार की पहचान बनी। प्रिंसिपल पद पर रहते हुए जरूरतमंद विद्यार्थियों की सहायता कर एवं समाजिक कार्य कर समाज की पहचान बनी।

परिवार में अपने बेटे चेतन शर्मा, बहू प्रिया, पौत्र आर्यन व आदित्य समपूर्ण परिवार का स्वभाव मां द्वारा दिए गए सुसंस्कारों का परियाचक हैं। बेटा चेतन शर्मा जो आज देश सेवक के जी.एम.-सह रेजीडेंट संपादक है। उन्होंने इस क्षेत्र में अपनी अथक मेहनत एवं प्रयासो से जो स्थान बनाया है वह माता जी द्वारा दिए गए संस्कार एवं उनके आशीर्वाद द्वारा ही संभव हो पाया है। बच्चों ने तन-मन-धन से दिन-रात मां की सेवा की और उनकी हृदय की सर्जरी भी ठीक हो गई थी। लेकिन विधि के विधान के आगे किसी की एक न चली और वह भगवान के श्री चरणों में समा गई। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे एवं इस कठिन समय में परिवार को दुख से उभरने की शक्ति प्रदान करे।

ओम शांति

कलम से - भारद्वाज एवंम वशिष्ठ परिवार

 

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