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बड़े शौक से सुन रहा था ज़माना, तुम्ही सो गए दास्ताँ कहते-कहते

बड़े शौक से सुन रहा था ज़माना, तुम्ही सो गए दास्ताँ कहते-कहते

दुख की इस घड़ी में वश्ष्ठि परिवार अपने परिवार की बेटी खोने के शोक में है। उनकी मृत्यु ने हमारे दिलों में खालीपन छोड़ दिया है। जिसे शब्दों में बयां करना मुशिकल है। उनका प्यार, स्नेह व समपर्ण हमेशा हमें याद रहेगा। दीदी अपने मायके, ससुराल व समाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही हैं। उनकी अनुपस्थिति से हम सभी के दिलों में या यूं कहूं जीवन में एक बड़ा शून्य उत्पन्न हुआ है। हमारे वरिष्ठ व भारद्वाज परिवार के लिए यह बहुत कठिन समय है, एक दूसरे को सहारा देने का प्रयास कर रहे हैं।

दादी की याद में पौत्र ‘आर्यन’ के भाव मेरी अद्भुत दादी (बड़ी अम्मा)

दादी की याद में पौत्र ‘आर्यन’ के भाव मेरी अद्भुत दादी (बड़ी अम्मा)

मैं, आर्यन, बहुत भारी मन से अपनी प्यारी दादी को श्रद्धांजलि दे रहा हूँ, जिनकी मौजूदगी उनके जाने के बाद भी मेरे जीवन को सुशोभित करती है। उनके पोते के रूप में, मुझे उनके प्यार की गहराई, उनके शब्दों की बुद्धिमत्ता, उनके आलिंगन की गर्मजोशी और मुझे डांटने के उनके तरीके को देखने का सौभाग्य मिला।

दादी के पास हर किसी को खास महसूस कराने का एक अनूठा तरीका था। घर हंसी, कहानियों और घर के बने व्यंजनों की अंतहीन आपूर्ति से भरा एक अभयारण्य था। उनका बगीचा उनकी पोषण करने वाली भावना का एक प्रमाण था, जहाँ हर फूल उनकी देखभाल में खिलता था, ठीक उसी तरह जैसे वह अपने आस-पास सबकी देखभाल करती थीं।

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