चंडीगढ़, 21 अगस्त
केन्द्र सरकार द्वारा हाल ही में लाए गए और फिर रद्द किए गए यूपीएससी लैटरल एंट्री स्कीम को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) ने भाजपा पर तीखा हमला बोला है। आप पंजाब के वरिष्ठ नेता और पंजाब के वित्तमंत्री ने हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि भाजपा बाबासाहेब आंबेडकर का लिखा संविधान और देश की आरक्षण व्यवस्था को खत्म करना चाहती है।
बुधवार को चंडीगढ़ पार्टी कार्यालय में कैबिनेट मंत्री हरपाल सिंह चीमा, हरभजन सिंह ईटीओ और लालचंद कटारूचक एवं आप नेता पवन कुमार टीनू ने इस मुद्दे पर एक प्रेस कांफ्रेंस कर मीडिया को संबोधित किया। आप नेताओं ने कहा कि बीजेपी पिछले कई सालों से लगातार यह कोशिश कर रही है कि किसी भी तरीके से आरक्षण को खत्म किया जाए।
हरपाल चीमा ने कहा कि मोदी सरकार का लैटरल एंट्री का फैसला रद्द करना सिर्फ दिखावा है। भाजपा ने चार राज्यों हरियाणा जम्मू-कश्मीर झारखंड और महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनावों में नुकसान के डर से इस फैसले को वापस लिया है। उनके इरादे अभी भी वही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पहले ही लैटरल एंट्री से 63 से ज्यादा आईएएस स्तर के पदों पर नियुक्ति कर चुकी है। उन नियुक्तियों में भी आरक्षण के नियमों का पालन नहीं किया गया। अब वह दूसरी बार उसी तरह 45 और नियुक्तियां करना चाहते थे लेकिन दबाव के कारण रद्द करना पड़ा।
इससे पहले केंद्र सरकार ने आउटसोर्सिंग के जरिए सरकारी विभागों में काम करने वाले सफाई कर्मचारी, चपरासी जैसे कई पदों पर आरक्षण खत्म कर दिया है। इसके अलावा भी कई आउटसोर्स भर्तियों आरक्षण खत्म कर दिया गया है। अब वह आईएएस जैसे अहम पदों पर भी आरक्षण खत्म कर दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों का हक छीनना चाहते है।
चीमा ने केन्द्र सरकार द्वारा सरकारी कंपनियों को निजीकरण किए जाने के फैसले को भी आरक्षण से जोड़ा और कहा कि पिछले दस सालों में मोदी सरकार ने पेट्रोलियम, बैंकिंग, इंस्योरेंस सहित अन्य कई क्षेत्रों के 30 से ज्यादा सरकारी कंपनियों का निजीकरण किया ताकि वहां आरक्षण खत्म हो सके। उनका मकसद दलितों और वंचितों और दबाना है। उन्होंने भाजपा शासित राज्य उत्तर प्रदेश में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में पिछड़े वर्ग के कोटा पर उठे सवालों और विश्वविद्यालयों में दलितों-पिछड़ों और आदिवासियों के हजारों खाली पदों पर भी गंभीर सवाल खड़े किए।
भाजपा सुनियोजित तरीके से आरक्षण व्यवस्था पर हमला कर रही है - हरभजन सिंह ईटीओ
आप नेता और कैबिनेट मंत्री हरभजन सिंह ईटीओ ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सुनियोजित तरीके और सोची समझी रणनीति के तहत देश की आरक्षण व्यवस्था पर हमला कर रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा लगातार देश के शोषितों और वंचितों का संवैधानिक अधिकार खत्म करने की दिशा में काम कर रही है, लेकिन हम इसके खिलाफ संघर्ष करेंगे और किसी भी कीमत पर भाजपा को संविधान और आरक्षण के साथ छेड़छाड़ नहीं करने देंगे।
उन्होंने कहा कि भाजपा का हर कानून यही है कि किसी भी तरह यह संविधान को बदल दिया जाए और जो सुख सुविधा गरीब जनता को मिलती थी उसको किसी भी तरीके से खत्म किया जाए। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनावों में ये जो कहते थे कि हम 400 के पार जाएंगे। मैं यह दावे के साथ कह सकता हूं कि अगर ये 300 के पार भी चले जाते तो अब तक वे संविधान को खत्म करने की कार्रवाई शुरू कर देते। लेकिन लोगों ने इनको 240 पर ही समेट दिया।
उन्होंने कहा कि यह पोस्ट की रिक्रूटमेंट यूपीएससी के जरिए होनी थी और अगर यूपीएससी के जरिए रिक्रूटमेंट होगी तो वहां पर आरक्षण देना पड़ेगा। उन्होंने जो पहले 63 सीटो पर नियुक्तियां की उसमें एससी-एसटी लोग बाहर हो गए फिर अभी और 45 सीट लेटरल एंट्री के जरिए भरने की कोशिश की गई। लोगों ने विरोध किया और इंडिया एलाइंस ने विरोध किया तो इनको मजबूरी में वापस लेना पड़ा। इनकी नीयत वापस लेने की बिल्कुल भी नहीं है।
2014 से ही भाजपा सरकार दलितों के खिलाफ काम कर रही है - लालचंद कटारूचक
मंत्री लालचंद कटारूचक ने कहा कि भाजपा और मोदी सरकार 2014 में केन्द्र की सत्ता में आने के बाद से ही दलितों और आरक्षण के खिलाफ काम कर रही है। 2018 में भी दलितों के अधिकार पर चोट पहुंचाने की कोशिश की गई थी लेकिन भारी विरोध के कारण सरकार ने उसपर कानून बनाया। अब फिर उन्होंने लैटरल एंट्री के माध्यम से अनुसूचित जातियों के अधिकारियों पर डाका डालने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को ऐसी हरकतों से बाज आना चाहिए और संविधान के मुताबिक दलित समाज को समानता दिलाने के लिए काम करना चाहिए।
सरकारी नौकरी सामाजिक समानता के लिए सबसे महत्वपूर्ण और भाजपा सरकारें इसी पर हमला कर रही है - पवन टीनू
आप नेता पवन कुमार टीनू ने कहा कि भाजपा और आरएसएस शुरू से ही दलित आरक्षण और संविधान विरोधी है। उन्होंने कहा कि संविधान निर्माताओं ने सरकारी नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान कर समाज में समानता लाने की कोशिश की है क्योंकि यह लोगों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाता है। लेकिन भाजपा लगातार सरकारी नौकरियों में आरक्षण खत्म करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि सिर्फ केंद्र सरकार ही नहीं भाजपा शासित राज्य सरकारें भी ऐसा कर रही है। भाजपा नहीं चाहती कि समाज में समानता आए और भेदभाव खत्म हो।