फरीदाबाद, 30 अगस्त
एनएचपीसी लिमिटेड को भारत सरकार द्वारा ‘नवरत्न’ कंपनी का प्रतिष्ठित दर्जा प्रदान किया गया है। लोक उद्यम विभाग (वित्त मंत्रालय) द्वारा दिनांक 30.08.2024 को जारी आदेश के अनुसार, एनएचपीसी को ‘नवरत्न’ कंपनी घोषित किया गया है, जिससे एनएचपीसी को और अधिक परिचालन और वित्तीय स्वायत्तता प्राप्त हुई है।
इस अवसर पर एनएचपीसी के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक श्री आर.के. चौधरी ने कहा, "यह एनएचपीसी परिवार के लिए वास्तव में एक ऐतिहासिक क्षण है। यह हमारी विगत उल्लेखनीय वित्तीय और परिचालन उपलब्धियों को मान्यता देता है।" उन्होंने एनएचपीसी परिवार की ओर से विद्युत मंत्रालय, भारत सरकार तथा लोक उद्यम विभाग (वित्त मंत्रालय) के प्रति आभार व्यक्त किया, जिन्होंने एनएचपीसी पर अटूट विश्वास जताया और सहयोग दिया, जिसके परिणामस्वरूप भारत सरकार ने एनएचपीसी को नवरत्न कंपनी का दर्जा दिया है। श्री चौधरी ने यह भी कहा कि, "एनएचपीसी की भारतीय विद्युत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है। देश की जलविद्युत क्षमता का दोहन करने में एनएचपीसी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हम एक पूर्ण हरित ऊर्जा कंपनी हैं जो पवन और सौर ऊर्जा क्षेत्रों में भी कार्य कर रहे हैं।“
नवरत्न कंपनी का दर्जा मिलने से एनएचपीसी को कई महत्वपूर्ण लाभ मिलेंगे। प्रमुख रूप से निर्णय लेने में तेजी आएगी, कार्यकुशलता बढ़ेगी और कार्मिक सशक्त होंगे। साथ ही प्रमुख पूंजीगत व्यय और निवेश योजनाओं को समर्थन मिलेगा, विकास को गति मिलेगी, बाजार पहुंच में विस्तार होगा और दीर्घकालिक लाभ प्राप्त होंगे। एनएचपीसी के पास संयुक्त उद्यम और विदेशों में कार्यालय स्थापित करने, नए बाजारों तक पहुंचने और स्थानीय विशेषज्ञता का लाभ उठाने के लिए बढ़ी हुई शक्तियां प्राप्त होंगी। इसके अतिरिक्त, यह तकनीकी गठजोड़, नवाचार को बढ़ावा और एनएचपीसी की स्थिति बाजार में मजबूत करेगा। यह विलय और अधिग्रहण को भी सुगम बनाएगा जिससे विकास और बाजार हिस्सेदारी में वृद्धि होगी।
एनएचपीसी की कुल संस्थापित क्षमता 7144.20 मेगावाट है। वर्तमान में कंपनी 10442.70 मेगावाट की परियोजनाओं के निर्माण कार्य में लगी हुई है। इनमें 2000 मेगावाट की सुबनसिरी लोअर परियोजना (असम/अरुणाचल प्रदेश) और 2880 मेगावाट की दिबांग बहुउद्देश्यीय परियोजना (अरुणाचल प्रदेश) शामिल हैं। वर्तमान में, एनएचपीसी 50000 मेगावाट से अधिक क्षमता वाली परियोजनाओं पर कार्य कर रही है जो विकास के विभिन्न चरणों में हैं। एनएचपीसी 2032 तक 23000 मेगावाट और 2047 तक 50000 मेगावाट की संस्थापित क्षमता हासिल करने की दिशा में लगातार कार्य कर रही है।