नई दिल्ली, 1 अक्टूबर
श्रम मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, औद्योगिक श्रमिकों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त महीने में 2.44 प्रतिशत रही, जबकि पिछले वर्ष इसी महीने में यह 6.91 प्रतिशत थी - जो कि वर्ष-दर-वर्ष आधार पर लगभग 65 प्रतिशत की उल्लेखनीय कमी है।
अगस्त के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक-औद्योगिक श्रमिक (CPI-IW) में 0.1 अंक की कमी आई और यह 142.6 पर रहा।
जुलाई में अखिल भारतीय CPI-IW 142.7 पर रहा, जबकि जून में यह 141.4 पर था।
मंत्रालय के अनुसार, औद्योगिक श्रमिकों के लिए नवीनतम खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े देश के 88 औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण केंद्रों में फैले 317 बाजारों से एकत्रित खुदरा कीमतों के आधार पर संकलित किए गए हैं।
ईंधन और प्रकाश, आवास और वस्त्र एवं जूते खंड जुलाई की तुलना में अगस्त में लगभग स्थिर रहे। खाद्य एवं पेय पदार्थ समूह जुलाई में 150.4 से घटकर अगस्त में 149.7 पर आ गया।
इस साल फरवरी से सीपीआई-आईडब्ल्यू में लगातार गिरावट आ रही है और अप्रैल में यह 3.87 प्रतिशत था।
इस बीच, कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति दर अगस्त में क्रमशः 5.96 प्रतिशत और 6.08 प्रतिशत पर आ गई, जबकि जुलाई में यह 6.17 प्रतिशत और 6.20 प्रतिशत थी।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, कृषि श्रमिकों (सीपीआई-एएल) और ग्रामीण श्रमिकों (सीपीआई-आरएल) के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में अगस्त में 7-7 अंकों की वृद्धि दर्ज की गई, जो क्रमशः 1,297 और 1,309 के स्तर पर पहुंच गया। पिछले सप्ताह, केंद्र ने जीवन की बढ़ती लागत से निपटने में श्रमिकों की मदद करने के लिए परिवर्तनीय महंगाई भत्ते (वीडीए) को संशोधित करके न्यूनतम मजदूरी दरों में वृद्धि की घोषणा की।
इस कदम से श्रमिकों, विशेष रूप से असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को मदद मिलेगी। केंद्रीय क्षेत्र प्रतिष्ठानों के अंतर्गत भवन निर्माण, लोडिंग और अनलोडिंग, निगरानी और रखवाली, झाड़ू लगाने, सफाई, हाउसकीपिंग, खनन और कृषि सहित विभिन्न क्षेत्रों में लगे लोगों को नई मजदूरी दरों का लाभ मिलेगा, जो 1 अक्टूबर से लागू होंगी।