नई दिल्ली, 1 फरवरी
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को वित्तीय क्षेत्र में दूरगामी सुधारों के तहत 2025-26 के बजट में बीमा क्षेत्र के लिए एफडीआई सीमा को 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने की घोषणा की।
यह बढ़ी हुई सीमा उन कंपनियों के लिए उपलब्ध होगी जो भारत में पूरा प्रीमियम निवेश करती हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि विदेशी निवेश से जुड़ी मौजूदा सुरक्षा और शर्तों की समीक्षा की जाएगी और उन्हें सरल बनाया जाएगा।
संसद में बजट पेश करते हुए उन्होंने कहा कि बजट 2025-26 का उद्देश्य छह क्षेत्रों में परिवर्तनकारी सुधार शुरू करना है, जिससे अगले पांच वर्षों के दौरान हमारी विकास क्षमता और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि इनमें से एक क्षेत्र वित्तीय क्षेत्र है, जिसमें बीमा, पेंशन, द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) आदि जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि पेंशन उत्पादों के विनियामक समन्वय और विकास के लिए एक मंच स्थापित किया जाएगा।
इसके अलावा, केवाईसी प्रक्रिया को सरल बनाने की पिछली घोषणा को लागू करने के लिए, संशोधित केंद्रीय केवाईसी रजिस्ट्री को 2025 में शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि समय-समय पर अपडेट करने के लिए एक सुव्यवस्थित प्रणाली भी लागू की जाएगी। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि कंपनी विलय की त्वरित स्वीकृति के लिए आवश्यकताओं और प्रक्रियाओं को युक्तिसंगत बनाया जाएगा। फास्ट-ट्रैक विलय के दायरे को भी बढ़ाया जाएगा और प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा। एफडीआई सुधार इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि भारत एक लोकप्रिय निवेश गंतव्य के रूप में उभरा है, जिसमें एप्पल और टेस्ला जैसी बहुराष्ट्रीय दिग्गज कंपनियां चीन के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों के बाद वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखलाओं की तलाश कर रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा कि भारतीय ऑटोमोबाइल क्षेत्र ने पिछले चार वर्षों में 36 बिलियन डॉलर से अधिक का एफडीआई आकर्षित किया है और आने वाले वर्षों में यह आंकड़ा कई गुना बढ़ जाएगा, क्योंकि उन्होंने वाहन निर्माताओं से ‘मेक इन इंडिया और मेक फॉर द वर्ल्ड’ के मंत्र का पालन करने का आह्वान किया।
राष्ट्रीय राजधानी के भारत मंडपम में भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो 2025 का उद्घाटन करते हुए, प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत एक बड़ा अवसर प्रस्तुत करता है और निवेशकों के लिए एक आदर्श गंतव्य है। उन्होंने बताया कि सरकार वैश्विक निवेशकों के लिए ऑटोमोबाइल क्षेत्र में अधिक एफडीआई लाने का मार्ग प्रशस्त कर रही है, जो प्रौद्योगिकी और नवाचार से प्रेरित है।
इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों ने बड़े निवेश आकर्षित किए हैं, जिसमें पहली बार देश में सेमीकंडक्टर इकाइयाँ भी आ रही हैं।