नई दिल्ली, 1 अप्रैल
सरकार ने मंगलवार को बताया कि वित्त वर्ष 2025 में भारत का रक्षा निर्यात बढ़कर 23,622 करोड़ रुपये (करीब 2.76 अरब डॉलर) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। वित्त वर्ष 2024 में यह 21,083 करोड़ रुपये था, जो 2,539 करोड़ रुपये या 12.04 प्रतिशत की वृद्धि है।
रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उपक्रमों (डीपीएसयू) ने वित्त वर्ष 2025 में अपने निर्यात में 42.85 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है, जो वैश्विक बाजार में भारतीय उत्पादों की बढ़ती स्वीकार्यता और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा बनने की भारतीय रक्षा उद्योग की क्षमता को दर्शाता है।
वित्त वर्ष 2025 में रक्षा निर्यात में निजी क्षेत्र और डीपीएसयू ने क्रमशः 15,233 करोड़ रुपये और 8,389 करोड़ रुपये का योगदान दिया है, जबकि वित्त वर्ष 2024 के लिए यह आंकड़ा क्रमशः 15,209 करोड़ रुपये और 5,874 करोड़ रुपये था।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत 2029 तक रक्षा निर्यात को बढ़ाकर 50,000 करोड़ रुपये करने के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
भारत बड़े पैमाने पर आयात पर निर्भर सैन्य बल से विकसित होकर आत्मनिर्भरता और स्वदेशी उत्पादन पर अधिक ध्यान केंद्रित करने वाला बन गया है।
रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए, हाल ही में समाप्त हुए वित्त वर्ष में गोला-बारूद, हथियार, उप-प्रणालियों/प्रणालियों और भागों और घटकों से लेकर कई तरह की वस्तुओं का लगभग 80 देशों को निर्यात किया गया है।
मंत्रालय के अनुसार, रक्षा उत्पादन विभाग के पास निर्यात प्राधिकरण अनुरोधों के आवेदन और प्रसंस्करण के लिए एक समर्पित पोर्टल है, और वित्त वर्ष 2024-25 में 1,762 निर्यात प्राधिकरण जारी किए गए, जबकि पिछले वर्ष 1,507 जारी किए गए थे, जो 16.92 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करता है। इसी अवधि में निर्यातकों की कुल संख्या में भी 17.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। सरकार का लक्ष्य 2029 तक रक्षा उत्पादन में 3 लाख करोड़ रुपये हासिल करना है, जिससे देश की वैश्विक रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थिति मजबूत होगी। लगभग 65 प्रतिशत रक्षा उपकरण अब घरेलू स्तर पर निर्मित होते हैं, जो पहले के 65-70 प्रतिशत आयात निर्भरता से एक महत्वपूर्ण बदलाव है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, एक मजबूत रक्षा औद्योगिक आधार में 16 डीपीएसयू, 430 से अधिक लाइसेंस प्राप्त कंपनियां और लगभग 16,000 एमएसएमई शामिल हैं, जो स्वदेशी उत्पादन क्षमताओं को मजबूत करते हैं।