जयपुर, 8 अप्रैल
राजस्थान की एक विशेष अदालत ने मंगलवार को जयपुर में 2008 में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के दौरान मिले जिंदा बमों के मामले में चार आतंकियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
अदालत ने मंगलवार को 600 पन्नों का फैसला सुनाया।
13 मई 2008 को जयपुर में आठ सिलसिलेवार धमाके हुए थे और नौवां बम चांदपोल बाजार में एक गेस्ट हाउस के पास मिला था। इसे फटने से 15 मिनट पहले ही निष्क्रिय कर दिया गया था।
अदालत ने टिप्पणी की, "सबसे बड़ी अदालत हमारा दिमाग है...हमारा दिमाग जानता है कि क्या सही है और क्या गलत...सजा दी जा चुकी है, इसका मतलब है कि अपराध किया गया है।"
इससे पहले मंगलवार को सजा पर बहस के दौरान सरकारी वकील स्पेशल पीपी सागर तिवारी ने आरोपियों के लिए आजीवन कारावास की मांग करते हुए कहा, "दोषियों का कृत्य सबसे गंभीर अपराध है। उनके साथ किसी भी परिस्थिति में नरमी नहीं बरती जा सकती।"
अभियुक्तों के बचाव पक्ष के वकील मिनहाजुल हक ने दलील दी: "अपराधी पहले ही 15 साल जेल में काट चुके हैं। हाईकोर्ट ने उन्हें अन्य आठ मामलों में बरी कर दिया है। इसे देखते हुए, उन्हें पहले से काटे गए समय के आधार पर न्यूनतम सजा दी जानी चाहिए।" शुक्रवार को विशेष अदालत ने लाइव बम मामले में सभी चार अभियुक्तों को दोषी ठहराया। चार आतंकवादियों - सैफुर्रहमान, मोहम्मद सैफ, मोहम्मद सरवर आज़मी और शाहबाज़ अहमद - को लाइव बम मामले के सिलसिले में दोषी ठहराया गया।