नई दिल्ली, 24 अप्रैल
गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, मध्यम आकार के वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) भारत में अभूतपूर्व वृद्धि का अनुभव कर रहे हैं, जो 4.5 प्रतिशत के बाजार औसत की तुलना में 6.2 प्रतिशत चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) के साथ समग्र जीसीसी बाजार से आगे निकल रहे हैं।
इंडक्टस जीसीसी सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में 2026 तक 120 से अधिक नए मध्यम बाजार जीसीसी होंगे, जिनमें 40,000 नई नौकरियां पैदा करने की क्षमता होगी, जो वर्तमान में 800 से अधिक केंद्रों के मौजूदा आधार पर 220,000 पेशेवरों को रोजगार देगा।
देश में मध्यम बाजार जीसीसी खंड में 2024-2026 के बीच 15-20 प्रतिशत राजस्व वृद्धि देखने का अनुमान है, जो वैश्विक कंपनियों द्वारा इन परिचालनों में रखे जा रहे मजबूत विश्वास को दर्शाता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 200-1,000 पेशेवरों को रोजगार देने वाले ये मध्यम आकार के संचालन तेजी से वैश्विक कंपनियों के लिए रणनीतिक प्राथमिकता बन रहे हैं, जो विशेष विशेषज्ञता और परिचालन लचीलेपन की तलाश कर रही हैं।
इसमें पाया गया कि मध्यम आकार के 65 प्रतिशत निगम अगले दो वर्षों में अपने जीसीसी निवेश को बढ़ाने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि वे अपने भारतीय परिचालन को अपने नवाचार एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण मानते हैं।
कंपनियों ने अन्य वैश्विक स्थानों की तुलना में भारतीय जीसीसी का लाभ उठाकर 30-40 प्रतिशत की कटौती के साथ पर्याप्त लागत लाभ की रिपोर्ट की है।
इससे संगठनों को नवाचार और अन्य रणनीतिक पहलों के लिए बचत को फिर से आवंटित करने की अनुमति मिलती है। 2024 तक भारत के कुल जीसीसी पारिस्थितिकी तंत्र में मध्यम आकार के जीसीसी का हिस्सा पहले से ही लगभग 50 प्रतिशत है, जो बाजार में उनके बढ़ते प्रभुत्व को दर्शाता है।