श्री फतेहगढ़ साहिब, 6 मई (रविंदर सिंह ढींडसा) : देश भगत विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान और भाषा संकाय ने सप्त सिंधु सभ्यता की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की खोज पर केंद्रित एक कार्यशाला आयोजित की। कार्यशाला का शुभारंभ सामाजिक विज्ञान और भाषा संकाय के निदेशक डॉ. देविंदर कुमार के स्वागत भाषण से हुआ, जिन्होंने हमारी सामूहिक पहचान को आकार देने में सप्त सिंधु के गहन महत्व पर जोर दिया।कार्यक्रम के रिसोर्स पर्सन डॉ. वरिंदर गर्ग, एमडी (रेडियोलॉजी) और पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ के अध्यक्ष के ओएसडी थे।
उन्होंने सप्त सिंधु के रहस्यों पर प्रकाश डाला, जो औपनिवेशिक प्रशासकों द्वारा हेरफेर किए गए हमारे भूले हुए अतीत में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं, जो हमारे वर्तमान को सूचित करते हैं। इसके साथ ही हमारे भविष्य को आकार देते हैं। सप्त सिंधु क्षेत्र, जिसे सभ्यता के पालक के रूप में जाना जाता है, अपने अंदर सदियों से चल रहे रहस्यों को समेटे हुए है। यह हमारे लोगों के लचीलेपन का प्रमाण है कि समय के विनाश और इतिहास के उतार-चढ़ाव के बावजूद सप्त सिंधु की भावना बनी हुई है।मुख्य अतिथि देश भगत विश्वविद्यालय की कुलाधिपति डॉ. जोरा सिंह ने हमारी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में इस तरह की पहल के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने प्रतिभागियों से इतिहास के रेखाचित्र में खोज कर अपने पूर्वजों की कहानियों को ढूंढने की अपील की। हमारे ज्ञान के अध्यात्म के संरक्षक और विरासत के परिचालक के रूप में अपनी भूमिका पर बल दिया। कार्यशाला के अंत में डॉ. धर्मिंदर सिंह द्वारा लिखित पुस्तक "फोकलोर एंड फोकलोरिस्टिक्स" का विमोचन भी किया गया।