कोलकाता, 16 अप्रैल
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), कोलकाता क्षेत्रीय कार्यालय ने डिजिटल गिरफ्तारी घोटाले से जुड़े एक बड़े साइबर धोखाधड़ी रैकेट की जांच तेज कर दी है। एजेंसी ने हाल ही में सुश्री उमा जसिंटा बर्नी और अन्य से जुड़े मामले के सिलसिले में कोलकाता, दिल्ली और बेंगलुरु में कई स्थानों पर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के तहत तलाशी अभियान चलाया।
तलाशी के दौरान एक परिष्कृत साइबर धोखाधड़ी सिंडिकेट से जुड़े कई आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए गए। ईडी ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), 1860 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की विभिन्न धाराओं के तहत कोलकाता पुलिस द्वारा साइबर पीएस, कोलकाता में दर्ज एक प्राथमिकी के आधार पर अपनी जांच शुरू की।
अधिकारियों के अनुसार, आरोपी एक सुसंगठित आपराधिक साजिश का हिस्सा थे, जिसमें सीबीआई और सीमा शुल्क जैसी केंद्रीय एजेंसियों के अधिकारी बनकर काम करना शामिल था।
उन्होंने फोन और व्हाट्सएप के माध्यम से पीड़ितों से संपर्क किया, उन पर धन शोधन में शामिल होने का झूठा आरोप लगाया और उन्हें गिरफ्तारी और संपत्ति जब्त करने की धमकी दी। जालसाजों ने अपनी धमकियों को विश्वसनीय बनाने और बड़ी रकम ऐंठने के लिए सुप्रीम कोर्ट, आरबीआई, सीमा शुल्क और सीबीआई जैसी प्रतिष्ठित संस्थाओं के लोगो वाले जाली दस्तावेज बनाए।
ईडी की जांच में यह भी पता चला कि आरोपियों ने कमीशन के लिए अपने पहचान पत्र देने वाले व्यक्तियों के नाम पर कई चालू बैंक खाते खोले थे।
इन खातों का उपयोग धोखाधड़ी से प्राप्त धन को प्राप्त करने और स्थानांतरित करने के लिए किया गया था, तथा विभिन्न खातों में धन का तीव्र गति से स्थानांतरण किया गया था, ताकि मामले की जांच को अस्पष्ट किया जा सके और कार्यवाही को लूटा जा सके।
इससे पहले मामले में ईडी ने दो प्रमुख मास्टरमाइंडों - दिल्ली से योगेश दुआ और बेंगलुरु से चिराग कपूर उर्फ चिंतक राज को पीएमएलए की धारा 19(1) के तहत 4 अप्रैल को गिरफ्तार किया था। उन्हें शुरू में ईडी की हिरासत में भेज दिया गया था और फिलहाल वे न्यायिक हिरासत में हैं।
ईडी धन के स्रोत का पता लगाने और डिजिटल जबरन वसूली नेटवर्क में शामिल अन्य सहयोगियों की पहचान करने का काम जारी रखे हुए है