चेन्नई, 25 अप्रैल (एजेंसी) : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारी अवैध रेत खनन से जुड़े एक मामले में तमिलनाडु के पांच जिला कलेक्टरों से पूछताछ कर रहे हैं।
वेल्लोर, तिरुचिरापल्ली, करूर, तंजावुर और अरियालुर के जिला कलेक्टरों से चेन्नई स्थित ईडी कार्यालय में पूछताछ की जा रही है।
याद रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने 28 फरवरी, 2024 को तमिलनाडु के पांच जिला कलेक्टरों को एजेंसी द्वारा की जा रही मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में ईडी के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया था।
न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की खंडपीठ ने तमिलनाडु राज्य और उसके अधिकारियों की याचिका को अजीब और असामान्य बताया था।
सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने पांच जिला कलेक्टरों को राहत देते हुए मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी। राज्य सरकार और पांच जिला कलेक्टरों ने मद्रास उच्च न्यायालय का रुख किया जिसने ईडी के समन पर रोक लगाते हुए कलेक्टरों को उसके समक्ष पेश होने को कहा।
ईडी ने पहले मद्रास उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि एक या दो वर्षों में पांच जिलों से किए गए अवैध अतिरिक्त रेत खनन का कुल मूल्य लगभग 4,760 करोड़ रुपये था, जबकि आधिकारिक तौर पर दिखाया गया राजस्व 36.45 करोड़ रुपये था।
केंद्रीय एजेंसी ने सितंबर 2023 के दौरान रेत खनन क्षेत्रों और रेत स्टॉकयार्ड सहित कई स्थानों पर छापे मारे थे।
ईडी ने तब फर्जी बिल और नकली क्यूआर कोड का पता लगाने का दावा किया था। इन दस्तावेजों से पता चला है कि यह जीएसटी के भुगतान को रोकने के लिए था जिससे राज्य और केंद्र सरकारों को भारी नुकसान हुआ।
केंद्रीय एजेंसी ने तब कुछ व्यवसायियों के परिसरों पर छापे मारे थे और एक बयान में कहा था कि उसने 130.60 करोड़ रुपये की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया है।
इसमें 128.34 करोड़ रुपये की चल संपत्ति शामिल है और इसमें 209 रेत उत्खननकर्ता शामिल हैं।