नई दिल्ली, 26 सितंबर
गुरुवार को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत अपने फार्मास्युटिकल क्षेत्र में एक परिवर्तनकारी युग के शिखर पर है, जिसके 2030 तक 130 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।
यहां एसोचैम के वार्षिक फार्मा शिखर सम्मेलन में लॉन्च किए गए डेलॉइट के श्वेतपत्र के अनुसार, मात्रा के हिसाब से दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दवा उत्पादक, भारत वर्तमान में 200 से अधिक देशों में फार्मास्युटिकल उत्पादों का निर्यात कर रहा है, जो वैश्विक फार्मास्युटिकल क्षेत्र में अपना प्रभाव स्थापित कर रहा है।
पेपर में अनुसंधान, नियामक सुधारों और रणनीतिक वैश्विक साझेदारी में प्रगति के कारण अग्रणी जेनेरिक दवा उत्पादक से फार्मास्युटिकल नवाचार के पावरहाउस में बदलने की भारत की क्षमता पर प्रकाश डाला गया।
डेलॉइट इंडिया में लाइफ साइंसेज एंड हेल्थकेयर के पार्टनर और इंडस्ट्री लीडर जॉयदीप घोष ने कहा, "2030 तक बाजार के 130 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, विकास अनुसंधान एवं विकास में महत्वपूर्ण निवेश और एआई और जैव प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में प्रतिभा की कमी को दूर करने पर निर्भर करता है।"
उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन योजना जैसी सरकारी पहल का उद्देश्य घरेलू विनिर्माण को बढ़ाना और आयात पर निर्भरता कम करना है।