नई दिल्ली, 10 अक्टूबर
विश्व दृष्टि दिवस पर गुरुवार को विशेषज्ञों ने कहा कि भारत में दुनिया में अंधे लोगों की संख्या सबसे अधिक है, लेकिन अधिकांश लोग यह नहीं जानते कि 85 प्रतिशत से अधिक मामलों में, स्थिति को रोका जा सकता है।
भारत अनुमानतः 34 मिलियन लोगों का घर है जो अंधेपन या मध्यम या गंभीर दृश्य हानि (एमएसवीआई) से पीड़ित हैं।
एम्स नई दिल्ली के नेत्र विज्ञान विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजेश सिन्हा ने कहा, "दुनिया में लगभग 85 प्रतिशत अंधापन टाला जा सकता है जिसे या तो रोका जा सकता है या इलाज किया जा सकता है।"
विशेषज्ञ ने जन-जागरूकता की आवश्यकता बताई ताकि समाज के अधिकांश लोग जो अज्ञानता के कारण अंधे हो सकते हैं, उनकी दृष्टि जीवन भर बनी रहे।
सिन्हा ने कहा, "निवारे जा सकने वाले अंधेपन के नेत्र संबंधी कारण संक्रमण, विटामिन ए की कमी हो सकते हैं, जबकि इलाज योग्य अंधेपन के कारण मोतियाबिंद, असंशोधित अपवर्तक त्रुटि, डायबिटिक रेटिनोपैथी हो सकते हैं।"
नेशनल ब्लाइंडनेस एंड विजुअल इम्पेयरमेंट सर्वे के अनुसार, मोतियाबिंद अंधेपन का प्रमुख कारण है, जो भारत में अंधेपन के 66.2 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार है।
असंशोधित अपवर्तक त्रुटियाँ 18.6 प्रतिशत और ग्लूकोमा 6.7 प्रतिशत हैं। अंधापन और दृष्टि हानि के अन्य कारणों में कॉर्नियल अपारदर्शिता (0.9 प्रतिशत), बचपन का अंधापन (1.7 प्रतिशत), और मधुमेह संबंधी रेटिनोपैथी (3.3 प्रतिशत) शामिल हैं।