नई दिल्ली, 29 अक्टूबर
कोलकाता में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान, बोस इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं ने SARS-CoV-1 वायरस से सिर्फ पांच अमीनो एसिड के छोटे प्रोटीन टुकड़ों का उपयोग करके हाइड्रोजेल बनाने का एक नया तरीका विकसित किया है।
नई पद्धति लक्षित दवा वितरण को बेहतर बनाने और दुष्प्रभावों को कम करने में मदद कर सकती है।
हाइड्रोजेल को उनके सूजन व्यवहार, यांत्रिक शक्ति और जैव अनुकूलता के कारण दवा वितरण के लिए उपयुक्त माना जाता है।
जबकि छोटे पेप्टाइड-आधारित हाइड्रोजेल में अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए काफी संभावनाएं हैं, इन प्रणालियों के जमाव को नियंत्रित करना बहुत चुनौतीपूर्ण है।
प्रोफेसर अनिर्बान भुनिया के नेतृत्व में बोस इंस्टीट्यूट में रसायन विज्ञान विभाग के शोधकर्ताओं की एक टीम ने SARS-CoV-E प्रोटीन के अंतर्निहित स्व-संयोजन गुणों का पता लगाया। उनके अध्ययन से उपयोगी जेल सामग्री बनाने का एक नया तरीका पता चला।
टीम ने भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर, टेक्सास विश्वविद्यालय रियो ग्रांडे वैली, अमेरिका और इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस, कोलकाता के वैज्ञानिकों के साथ भी सहयोग किया।
प्रतिष्ठित जर्नल स्मॉल (विली) में प्रकाशित उनके निष्कर्षों से पता चला है कि अद्वितीय गुणों वाले पेंटापेप्टाइड्स से बने जैल को SARS-CoV-1 वायरस के सिर्फ पांच अमीनो एसिड को पुनर्व्यवस्थित करके विकसित किया जा सकता है।