नई दिल्ली, 19 दिसंबर
एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की ऊर्जा भंडारण क्षमता 2031-32 तक 12 गुना बढ़कर लगभग 60 गीगावॉट होने की उम्मीद है, जो देश में नवीकरणीय ऊर्जा में परिवर्तन के साथ पावर ग्रिड को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि देश का ऊर्जा भंडारण परिदृश्य तेजी से विकसित हो रहा है, जिसमें भंडारण समाधानों को शामिल करने वाली नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) परियोजनाओं का अनुपात वित्त वर्ष 2020 में 5 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 24 में 23 प्रतिशत हो गया है।
यह नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के लिए प्रत्याशित वृद्धि को पार कर जाएगा।
बिजली उत्पादन में परिवर्तनीय नवीकरणीय ऊर्जा (वीआरई) की हिस्सेदारी 2031-32 तक तीन गुना होने की उम्मीद है जो ग्रिड को अस्थिर कर सकती है। चुनौती वीआरई के उत्पादन और अधिकतम बिजली मांग के बीच अंतर्निहित बेमेल में निहित है। यह बेमेल अक्सर ग्रिड अस्थिरता, चरम उत्पादन घंटों के दौरान अधिशेष ऊर्जा और गैर-सौर अवधि के दौरान जीवाश्म ईंधन पर निरंतर निर्भरता का कारण बनता है।
ऊर्जा भंडारण प्रणालियों (ईएसएस) का एकीकरण, इस संक्रमण के प्रबंधन और स्थिरता सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण है। ईएसएस उच्च उत्पादन समय के दौरान अतिरिक्त नवीकरणीय ऊर्जा का भंडारण करके और मांग चरम पर होने पर इसे जारी करके एक समाधान प्रदान करता है।
बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (बीईएसएस) और पंप्ड स्टोरेज प्रोजेक्ट्स (पीएसपी) के ऊर्जा भंडारण बाजार पर हावी होने की उम्मीद है, विशेष रूप से बीईएसएस, अपने स्थानीय लचीलेपन, तेजी से प्रतिक्रिया समय और प्रौद्योगिकी में सुधार के कारण प्रमुख तकनीक के रूप में उभर रही है। रिपोर्ट बताती है कि लागत में और कमी आएगी।