जम्मू, 7 जनवरी
जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में मंगलवार को केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक अधिकारी ने कथित तौर पर खुद को गोली मार ली।
अधिकारियों ने बताया कि बिहार निवासी सीआरपीएफ के सहायक उपनिरीक्षक (एएसआई) राजनाथ प्रसाद (55) ने रियासी जिले के कटरा इलाके में माता वैष्णो देवी गुफा मंदिर की ओर जाने वाले ताराकोट मार्ग पर एक अस्थायी सीआरपीएफ पिकेट के अंदर खुद को सीने में गोली मार ली।
गोली की आवाज सुनकर प्रसाद के सहकर्मी मौके पर पहुंचे और उन्हें मृत पाया।
पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों ने बताया कि प्रसाद के आत्महत्या करने के पीछे का असली मकसद अभी पता नहीं चल पाया है।
केंद्र शासित प्रदेश में पहले भी सुरक्षा बलों के बीच आत्मघाती या भाईचारे की गोलीबारी की घटनाएं हुई हैं, लेकिन बेहतर कमांड और नियंत्रण प्रणालियों के जरिए इन पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है।
ऐसे अन्यथा समझ से परे कृत्यों के पीछे के कारणों का पता लगाने के लिए नियुक्त परामर्शदाताओं ने प्रतिकूल परिस्थितियों में लंबे समय तक ड्यूटी करना, मनोरंजन और मनोरंजन की कमी तथा परिवारों से लंबे समय तक अलग रहना, ऐसे विचित्र कार्यों के मुख्य कारणों के रूप में चिन्हित किया है। सुरक्षा बल अब अपने कर्मियों को परिवारों से मिलने के लिए समय-समय पर छुट्टियां दे रहे हैं, ड्यूटी के घंटों की संख्या कम कर रहे हैं तथा तैनात बलों के लिए मनोरंजन और मनोरंजन की सुविधाएं बना रहे हैं। इन सुधारात्मक उपायों के साथ-साथ जवानों और कमांडिंग अधिकारियों के बीच अधिक बातचीत ने सुरक्षा बलों के बीच अंतर-कर्मियों के संबंधों को बेहतर बनाया है। जम्मू-कश्मीर में कानून और व्यवस्था की स्थिति में समग्र सुधार के साथ, तैनात सुरक्षा बलों और आम जनता के बीच संबंधों में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। तैनात सैनिकों या सुरक्षा बलों के बीच अब यह भावना नहीं रह गई है कि वे प्रतिकूल वातावरण में ड्यूटी कर रहे हैं। वास्तव में, सुरक्षा बल और सेना प्राकृतिक आपदाओं, आग की घटनाओं और चिकित्सा आपात स्थितियों जैसी कठिन परिस्थितियों में नागरिक आबादी के लिए बहुत मददगार साबित हुई है।