नई दिल्ली, 10 जनवरी
राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत, महाकुंभ 2025 के लिए 152.37 करोड़ रुपये की लागत से 28,000 शौचालयों सहित विशेष स्वच्छता प्रबंधन उपायों को लागू किया गया है।
जल शक्ति मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि ये पहल इस आयोजन के लिए स्वच्छ और टिकाऊ वातावरण सुनिश्चित करने के लिए पारंपरिक प्रथाओं के साथ आधुनिक तकनीक को जोड़ती है।
गंगा की पवित्रता बनाए रखना, प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन और प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र बनाना महाकुंभ 2025 के आयोजन की सर्वोच्च प्राथमिकताएं हैं।
इस आयोजन को पर्यावरणीय जिम्मेदारी के लिए एक बेंचमार्क के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है, जिसमें पूरे मेला क्षेत्र में स्वच्छता बनाए रखने पर जोर दिया जा रहा है।
मेला परिसर में 28,000 से अधिक शौचालय स्थापित किए गए हैं, जिनमें सेप्टिक टैंकों से सुसज्जित 12,000 फाइबर प्रबलित प्लास्टिक (एफआरपी) शौचालय और सोखने के गड्ढों वाले 16,100 प्रीफैब्रिकेटेड स्टील शौचालय शामिल हैं।
इन शौचालयों का उद्देश्य स्वच्छता सुनिश्चित करते हुए पर्यावरण के अनुकूल दृष्टिकोण को बढ़ावा देना है। इसके अतिरिक्त, पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देते हुए भक्तों के लिए एक आरामदायक और स्वच्छ अनुभव सुनिश्चित करने के लिए 20,000 सामुदायिक मूत्रालय स्थापित किए गए हैं।
आयोजन क्षेत्र में प्रभावी अपशिष्ट प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए, स्रोत पर अपशिष्ट को अलग करने में मदद करने के लिए 20,000 कचरा डिब्बे लगाए गए हैं, साथ ही इसके पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण को प्रोत्साहित किया गया है।
अपशिष्ट संग्रह और निपटान को और अधिक सुव्यवस्थित करने के लिए, 37.75 लाख लाइनर बैग प्रदान किए गए हैं।
यह सुव्यवस्थित अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली आयोजन क्षेत्र को स्वच्छ और पर्यावरण के अनुकूल बनाए रखेगी।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि महाकुंभ 2025 के लिए अपनाई गई रणनीतियां न केवल स्वच्छता के लिए उच्च मानक स्थापित करेंगी बल्कि पर्यावरण स्थिरता के लिए देश की प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित करेंगी।
महाकुंभ 2025 केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता का एक आदर्श उदाहरण है। यह गंगा की पवित्रता बनाए रखने, टिकाऊ अपशिष्ट प्रबंधन और प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र बनाने की दिशा में सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालता है।
इस पवित्र आयोजन के माध्यम से समाज में स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाई जाएगी। महाकुंभ 2025 के लिए यह स्वच्छता पहल न केवल वर्तमान पीढ़ी बल्कि भविष्य की पीढ़ियों को भी प्रेरित करेगी