यादगीर, 18 फरवरी
कर्नाटक के यादगीर जिले में 12 दिनों तक डिजिटल गिरफ्तारी के बाद एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी साइबर अपराधियों का शिकार हो गया और उससे 10 लाख रुपये लूट लिए गए, पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
पुलिस के अनुसार, पीड़ित अधिकारी शाहपुर तालुक के अपर कृष्णा प्रोजेक्ट (यूकेपी) कैंप में कृष्णा जल भाग्य निगम लिमिटेड (केजेबीएनएल) से सेवानिवृत्त हैं। उन्होंने यादगीर में साइबर अपराध, आर्थिक अपराध और नारकोटिक्स (सीईएन) पुलिस स्टेशन में शिकायत की है।
पुलिस के अनुसार, पीड़िता को साइबर अपराधियों से एक वीडियो कॉल आया, जिन्होंने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच अधिकारी बताया। पीड़िता को बताया गया कि उसके खिलाफ अपराधी नरेश गोयल के साथ मिलकर किए गए अपराध के संबंध में मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया है।
पीड़िता से कहा गया कि वह तुरंत अपने बैंक खाते, बैंक पासबुक, आधार कार्ड और पैन कार्ड की जानकारी सत्यापन के लिए साझा करे, अन्यथा उसे कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। उनके जाल में फंसकर पीड़िता ने अपने सारे रिकॉर्ड और दस्तावेज भेज दिए।
सारी जानकारी मिलने के बाद आरोपियों ने दावा किया कि मामले के मुख्य आरोपी नरेश गोयल को गिरफ्तार कर लिया गया है।
साइबर अपराधियों ने उसे 10 लाख रुपये की राशि अलग-अलग खातों में ट्रांसफर करने को कहा, जिसे उसने गिरफ्तारी के डर से किया।
यादगीर जिले से रिपोर्ट किया गया यह पहला डिजिटल गिरफ्तारी का मामला है।
साइबर अपराधियों ने 26 जनवरी को वीडियो कॉल किया और 7 फरवरी तक पीड़िता को डिजिटल गिरफ्तारी में रखा, लगातार कॉल करके नई धमकी दी।
पुलिस ने बताया कि सोमवार को बेंगलुरु में एक सॉफ्टवेयर पेशेवर ने डिजिटल गिरफ्तारी घोटाले का शिकार होकर 11 करोड़ रुपये गंवा दिए।
डिजिटल गिरफ्तारी एक ऑनलाइन धोखाधड़ी है, जिसमें घोटालेबाज कानून प्रवर्तन या सरकारी अधिकारियों का रूप धारण करते हैं। घोटालेबाज पीड़ित से फोन या ऑनलाइन संपर्क करते हैं और पैसे ऐंठ लेते हैं।