नई दिल्ली, 19 फरवरी
सरकार ने बुधवार को कहा कि भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) द्वारा हाल ही में जारी परिपत्र का समग्र फास्टैग ग्राहक अनुभव पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने फास्टैग नियमों में बदलाव के संबंध में 28 जनवरी के एनपीसीआई परिपत्र का हवाला देते हुए रिपोर्ट सामने आने के बाद एक स्पष्टीकरण जारी किया, जिसमें कथित तौर पर उन फास्टैग पर लेनदेन को अस्वीकार कर दिया गया है जो पढ़ने के समय से 60 मिनट से अधिक समय तक और पढ़ने के समय के 10 मिनट बाद तक सक्रिय नहीं हैं।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने कहा, "एनपीसीआई द्वारा यह परिपत्र वाहन के टोल प्लाजा पार करते समय फास्टैग की स्थिति के संबंध में अधिग्रहणकर्ता बैंक और जारीकर्ता बैंक के बीच विवादों के समाधान को सुगम बनाने के लिए जारी किया गया है।"
परिपत्र का उद्देश्य यह भी सुनिश्चित करना है कि फास्टैग लेनदेन वाहन द्वारा टोल प्लाजा से गुजरने के उचित समय के भीतर किया जाए, ताकि ग्राहकों को देर से लेनदेन के कारण परेशान न होना पड़े।
मंत्रालय ने कहा, "सभी राष्ट्रीय राजमार्ग टोल प्लाजा आईसीडी 2.5 प्रोटोकॉल पर काम करते हैं, जो वास्तविक समय में टैग की स्थिति बताता है, इसलिए फास्टैग ग्राहक टोल प्लाजा पार करने से पहले किसी भी समय रिचार्ज कर सकते हैं।"
राज्य राजमार्गों पर कुछ टोल प्लाजा अभी भी आईसीडी 2.4 प्रोटोकॉल पर हैं, जिन्हें टैग स्थिति के नियमित अद्यतन की आवश्यकता होती है।
एनएचएआई ने कहा, "शीघ्र ही सभी टोल प्लाजा को आईसीडी 2.5 प्रोटोकॉल में स्थानांतरित करने की योजना बनाई जा रही है।"
फास्टैग ग्राहकों को मैन्युअल रिचार्ज की आवश्यकता को समाप्त करने के लिए ऑटो-रिचार्ज सेटिंग के तहत अपने फास्टैग वॉलेट को यूपीआई/चालू/बचत खातों से जोड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
एनएचएआई के अनुसार, ग्राहक टोल पर पहुंचने से पहले किसी भी समय यूपीआई, नेट बैंकिंग आदि विभिन्न भुगतान चैनलों का उपयोग करके अपने फास्टैग को रिचार्ज कर सकते हैं।
टोल प्लाजा पर उपयोगकर्ता अनुभव को सुव्यवस्थित करने के लिए नए फास्टैग नियम इस सप्ताह लागू हो गए।
एनपीसीआई के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल दिसंबर में फास्टैग लेनदेन 6 प्रतिशत बढ़कर 382 मिलियन हो गया, जबकि नवंबर में यह 359 मिलियन था।
नवंबर में 6,070 करोड़ रुपये की तुलना में दिसंबर में इसका मूल्य भी 9 प्रतिशत बढ़कर 6,642 करोड़ रुपये हो गया।