नई दिल्ली, 1 मार्च
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ ने न केवल सनातन धर्म की आध्यात्मिक भव्यता को प्रदर्शित किया, बल्कि भीड़ प्रबंधन के क्षेत्र में भी एक नया मानक स्थापित किया। औसतन प्रतिदिन 15 से 17.5 मिलियन श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई और बिना किसी परेशानी के अपने गंतव्य पर वापस लौटे।
इतनी बड़ी संख्या में लोगों का प्रबंधन करना एक चुनौती थी, जिसे सरकार और प्रशासन ने कुशलतापूर्वक संभाला और इसे दुनिया के सामने एक मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया।
इस भव्य आयोजन के 45 दिनों में 660 मिलियन से अधिक श्रद्धालुओं ने भाग लिया। यह संख्या भारत की कुल आबादी का लगभग आधा है। वास्तव में, इन 45 दिनों के दौरान, महाकुंभ नगर भारत और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे अधिक आबादी वाला क्षेत्र बन गया।
वास्तव में महाकुंभ धार्मिक समागम के लिए भीड़ प्रबंधन के उद्देश्य से एक विस्तृत योजना विकसित की गई थी। प्रवेश और निकास के लिए कई अलग-अलग मार्गों की व्यवस्था की गई थी, जिसके परिणामस्वरूप भीड़ का सुचारू प्रवाह सुनिश्चित हुआ। इसके अलावा, किसी भी स्थान पर भीड़भाड़ की स्थिति होने पर त्वरित कार्रवाई के लिए एक नियंत्रण कक्ष ने चौबीसों घंटे निगरानी सुनिश्चित की।
इसके अलावा, अलग-अलग दिशाओं से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग पार्किंग क्षेत्र बनाए गए, जिससे यातायात बाधित न हो। यह प्रबंधन न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गया।
वैश्विक स्तर पर भीड़ प्रबंधन के अन्य उल्लेखनीय उदाहरणों में सऊदी अरब में हज यात्रा शामिल है, जहां हर साल लाखों मुसलमान मक्का में इकट्ठा होते हैं। वहां भीड़ को नियंत्रित करने के लिए डिजिटल तकनीक और रूट प्लानिंग का इस्तेमाल किया जाता है। इसी तरह, ब्राजील के कार्निवल में लाखों लोग आते हैं, जिसमें व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस और प्रशासन के बीच समन्वय होता है।
हालांकि, महाकुंभ का पैमाना और जटिलता इसे अद्वितीय बनाती है। जहां हज और कार्निवल में अधिकतम 2 से 2.5 मिलियन लोगों की भीड़ को प्रबंधित किया जाता है, वहीं महाकुंभ में प्रतिदिन 10 से 15 मिलियन श्रद्धालु आते हैं। मौनी अमावस्या के अवसर पर यह संख्या 80 मिलियन तक पहुंच गई। 45 दिनों में यह संख्या दो बार 50 मिलियन, तीन बार 35 मिलियन, पाँच बार 20 मिलियन और 30 बार 10 मिलियन से अधिक हो गई। ऐसी संख्या की तुलना दुनिया भर के किसी भी अन्य आयोजन से नहीं की जा सकती।
महाकुंभ में AI आधारित कैमरे, ड्रोन और होल्डिंग एरिया जैसी आधुनिक तकनीकों का भी इस्तेमाल किया गया। यह आयोजन न केवल आस्था का प्रतीक बन गया, बल्कि भीड़ प्रबंधन में वैश्विक मानक भी स्थापित किया। उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन की सफलता भविष्य में दुनिया भर में बड़े पैमाने पर होने वाले आयोजनों को प्रेरित करेगी