नई दिल्ली, 7 मार्च
शुक्रवार को जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, केंद्र ने सहकारी चीनी मिलों की वित्तीय व्यवहार्यता बढ़ाने के लिए उनके मौजूदा गन्ना आधारित इथेनॉल संयंत्रों को बहु-फीडस्टॉक इकाइयों में परिवर्तित करने के लिए बैंक ऋण पर ब्याज सहायता के माध्यम से योजना को अधिसूचित किया है।
इस रूपांतरण से चीनी मिलों को मक्का और क्षतिग्रस्त खाद्यान्न का उपयोग करने की अनुमति मिलती है, जिससे वर्ष भर इथेनॉल उत्पादन और बेहतर दक्षता सुनिश्चित होती है। यह पहल इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) कार्यक्रम के अनुरूप है, जिसका लक्ष्य 2025 तक पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण करना है।
इस संशोधित इथेनॉल ब्याज अनुदान योजना के अंतर्गत, सरकार उद्यमियों को 6 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज अनुदान अथवा बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों द्वारा उन्हें दिए गए ऋण पर लगाए गए ब्याज दर का 50 प्रतिशत, जो भी कम हो, प्रदान कर रही है। बयान में कहा गया है कि ब्याज माफी की लागत केंद्र सरकार द्वारा एक वर्ष की स्थगन अवधि सहित पांच वर्षों के लिए वहन की जाएगी।
गन्ना पेराई अवधि वर्ष में केवल 4-5 महीने तक ही सीमित होती है, जिसके कारण चीनी मिलें सीमित समय तक ही चल पाती हैं। इससे उनकी समग्र परिचालन दक्षता और उत्पादकता में कमी आती है। सहकारी चीनी मिलों का पूरे वर्ष संचालन सुनिश्चित करने के लिए, उनके मौजूदा इथेनॉल संयंत्रों को नई संशोधित योजना के तहत मक्का और क्षतिग्रस्त खाद्यान्न जैसे अनाज का उपयोग करने के लिए बहु-फीडस्टॉक आधारित संयंत्रों में परिवर्तित किया जा सकता है।
बहु-फीडस्टॉक आधारित संयंत्रों में रूपांतरण से न केवल सहकारी चीनी मिलों के मौजूदा इथेनॉल संयंत्र, इथेनॉल उत्पादन के लिए चीनी आधारित फीडस्टॉक उपलब्ध न होने पर भी संचालन करने में सक्षम हो जाएंगे, बल्कि इन संयंत्रों की दक्षता और उत्पादकता में भी सुधार होगा। आधिकारिक बयान के अनुसार, इसके परिणामस्वरूप, इन सहकारी इथेनॉल संयंत्रों की वित्तीय व्यवहार्यता बढ़ जाएगी।
केंद्र सरकार पूरे देश में पेट्रोल के साथ इथेनॉल मिश्रण (ईबीपी) कार्यक्रम का क्रियान्वयन कर रही है। ईबीपी कार्यक्रम के तहत सरकार ने 2025 तक पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य तय किया है। सरकार ने जुलाई 2018 से अप्रैल 2022 तक विभिन्न इथेनॉल ब्याज अनुदान योजनाओं को अधिसूचित किया है।