लुधियाना, 8 मार्च 2025
श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह जी और तख्त श्री केसगढ़ साहिब के जत्थेदार को शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) की कार्यकारी समिति द्वारा सुखबीर बादल के दबाव में हटाना खालसा पंथ के लिए एक काला दिन है। मैं इस अन्यायपूर्ण और राजनीतिक रूप से प्रेरित निर्णय की कड़ी निंदा करता हूँ।
यह निर्णय श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी द्वारा स्थापित मीरी-पीरी सिद्धांत का खुला उल्लंघन है, जो आध्यात्मिक और सांसारिक नेतृत्व के संतुलन को बनाए रखने के लिए था। समय के साथ राजनीति ने हमारे धार्मिक मामलों पर हावी होना शुरू कर दिया है, जबकि होना यह चाहिए कि धर्म राजनीति का मार्गदर्शन करे।
अब समय आ गया है कि दुनिया भर के सिख एकजुट हों और श्री अकाल तख्त साहिब की खोई हुई गरिमा को पुनः स्थापित करें। गुरु गोबिंद सिंह जी और उनके परिवार के बलिदान हमें याद दिलाते हैं कि हमें हमेशा न्याय और अपने धर्म की संप्रभुता के लिए खड़े रहना चाहिए।
मैं समस्त सिख संगत से अपील करता हूँ कि इस अन्याय के खिलाफ खड़े हों और श्री अकाल तख्त साहिब की मर्यादा को पुनः बहाल करें।
जगरूप सिंह सेखवां
सिख चिंतक