चंडीगढ़, 18 मार्च
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने फसल अवशेष प्रबंधन में इस्तेमाल होने वाले 10 कृषि उपकरणों पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से छूट मांगी है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे पत्र में उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि हरियाणा के किसान देश के खाद्य भंडार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, साथ ही राज्य कृषि क्षेत्र में अग्रणी है।
मुख्यमंत्री ने कहा, "हाल के वर्षों में पराली जलाना एक बड़ा मुद्दा बन गया है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट और वायु गुणवत्ता आयोग इस पर कड़ी निगरानी रख रहे हैं।" उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि राज्य के किसान उन्नत तकनीक अपना रहे हैं और फसल अवशेष प्रबंधन के लिए नवीनतम कृषि उपकरणों का उपयोग कर रहे हैं।
पिछले कुछ वर्षों में केंद्र और राज्य सरकार दोनों ही फसल अवशेष प्रबंधन के लिए मशीनरी पर सब्सिडी दे रही हैं।
सैनी ने कहा, "2023 की तुलना में 2024 में पराली जलाने की घटनाओं में 39 प्रतिशत की कमी आएगी।" उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को और अधिक हल करने के लिए राज्य सरकार ने 2025 के लिए एक कार्य योजना विकसित की है, जिसमें फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों की खरीद के लिए 200 करोड़ रुपये की सब्सिडी का प्रावधान शामिल है। इन मशीनों की कुल लागत लगभग 500 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है, जिसमें जीएसटी (12 प्रतिशत) के कारण किसानों पर लगभग 60 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। मुख्यमंत्री ने वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय से रोटावेटर, डिस्क हैरो, कल्टीवेटर, जीरो ड्रिल, सुपर सीडर, स्ट्रॉ बेलर, हे रेक, स्लेशर, रीपर बाइंडर और ट्रैक्टर-माउंटेड स्प्रे पंप पर जीएसटी छूट देने का अनुरोध किया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अगर केंद्र सरकार यह छूट देती है, तो इससे किसानों को इन तकनीकों को अधिक व्यापक रूप से अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे फसल अवशेष जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने में मदद मिलेगी।