श्री फतेहगढ़ साहिब/9 अप्रैल:
(रविंदर सिंह ढींडसा)
शिक्षा जगत के लिए यह एक गौरव की बात है कि देश भगत यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ. ज़ोरा सिंह को शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए हरियाणा पंजाबी साहित्य एवं संस्कृति अकादमी द्वारा सम्मानित किया गया। चंडीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित एक ऐतिहासिक पुस्तक विमोचन समारोह के दौरान यह सम्मान दिया गया।इस कार्यक्रम में बहुप्रतीक्षित पुस्तक :क्रांतिकारी और ब्रिटिश राज: हार्डिंग बम आउटरेज के शहीद: का औपचारिक विमोचन किया गया, जिसे कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के सेवानिवृत्त प्रोफेसर और प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. अमरजीत सिंह ने लिखा है। यह विद्वत्तापूर्ण कार्य 20वीं सदी की शुरुआत में पंजाब और दिल्ली में क्रांतिकारी संघर्ष पर नई रोशनी डालता है और मास्टर अमीर चंद, भाई बाल मुकुंद, अवध बिहारी और बसंत कुमार बिस्वास जैसे प्रमुख शहीदों की वैचारिक प्रेरणाओं पर नए दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।
पुस्तक का विमोचन गणमान्य व्यक्तियों के एक प्रतिष्ठित पैनल की उपस्थिति में किया गया, जिसमें हरियाणा राज्य उच्चतर शिक्षा परिषद के उपाध्यक्ष प्रोफेसर एसके गक्खड़, डॉ बीआर अंबेडकर राष्ट्रीय विधि यूनिवर्सिटी, सोनीपत के पूर्व कुलपति प्रोफेसर विनय कपूर मेहरा और हरियाणा पंजाबी साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के निदेशक सरदार हरपाल सिंह गिल शामिल थे, जिन्होंने डॉ जोरा सिंह को भी विशेष सम्मान प्रदान किया।डॉ. सिंह को उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने और शैक्षणिक तथा संस्थागत पहलों के माध्यम से पंजाबी भाषा और संस्कृति को संरक्षित करने के उनके दृष्टिकोण के लिए सराहना मिली। अपने संबोधन में उन्होंने भारत के क्रांतिकारी शहीदों की वीरतापूर्ण लेकिन कम प्रचारित कहानियों को प्रकाश में लाने के लिए डॉ. अमरजीत सिंह को बधाई दी।
डॉ. ज़ोरा सिंह ने कहा कि डॉ. अमरजीत सिंह का यह उपराला न केवल हार्डिंग बम आउटरेज मामले के अनकहे पहलुओं को उजागर करता है, बल्कि औपनिवेशिक भारत में क्रांतिकारी आंदोलन के इर्द-गिर्द प्रचलित आख्यानों को भी चुनौती देता है। प्रो. एम.एम. गोयल, पूर्व कुलपति, स्टारटेक्स यूनिवर्सिटी, प्रो. मनोहर लाल शर्मा, पूर्व निदेशक, गांधीवादी अध्ययन, पंजाब यूनिवर्सिटी, प्रो मंजू मल्होत्रा , यू एस ढिल्लों तथा कई अन्य प्रतिष्ठित हस्तियों ने इस कार्य की भारतीय इतिहास लेखन में एक परिवर्तनकारी योगदान के रूप में प्रशंसा की।कार्यक्रम का समापन श्री तपन गिरधर के औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जबकि डॉ. सुमन सिवाच और डॉ. धर्मवीर सैनी ने सटीकता के साथ कार्यवाही का संचालन किया।