कोलकाता, 25 अप्रैल
इस महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पश्चिम बंगाल में सरकारी स्कूलों में शिक्षण और गैर-शिक्षण नौकरियों से वंचित "वास्तविक" और "दागी" दोनों तरह के लोगों द्वारा किए जा रहे विरोध के बीच, अनियमितता का एक नया पहलू सामने आया है।
यह अनियमितता पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (WBSSC) द्वारा पहले से ही पहचाने गए "दागी" उम्मीदवारों के एक वर्ग से संबंधित है। इन उम्मीदवारों को स्कूल शिक्षा विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार "गैर-ज्वाइन" के रूप में दिखाया गया था, जिसका अर्थ है कि इन शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों ने नियुक्ति मिलने के बावजूद ड्यूटी ज्वाइन नहीं की है।
अब सवाल यह है कि अगर ऐसे उम्मीदवारों को राज्य शिक्षा विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार "गैर-ज्वाइन" के रूप में चिह्नित किया गया था, तो वे इतने सालों तक वेतन कैसे प्राप्त कर सकते थे?
राज्य शिक्षा विभाग के सूत्रों ने कहा कि ऐसे उम्मीदवारों के रिकॉर्ड को अपडेट करने में तकनीकी चूक हो सकती है, जब वे वास्तव में अपने संबंधित कार्यस्थलों पर ड्यूटी ज्वाइन कर चुके थे। अधिकारी ने कहा, "डब्ल्यूबीएसएससी इस मामले में राज्य शिक्षा विभाग के साथ मामले को सुलझाने की कोशिश कर रहा है।" बोर्ड ने अभी तक ऐसे उम्मीदवारों की संख्या का खुलासा नहीं किया है, लेकिन सूत्रों ने कहा कि इससे विभाग में हड़कंप मच गया है।