श्री फतेहगढ़ साहिब/28 अक्तूबर:
(रविंदर सिंह ढींडसा)
देश भगत यूनिवर्सिटी नैक ए+ प्लस मान्यताप्राप्त संस्थान ने 1 अगस्त, 2024 से प्रभावी तौर पर पीएचडी थीसिस मूल्यांकन केलिए पूर्ण रूप में डिजीटल प्रणाली को अपना लिया है। यह रणनीतक कदम देश भगत यूनिवर्सिटी को उन अग्रणी यूनिवर्सिटीयों में शामल करता है जो अकादमिक कुशलता को बढाने और विद्वानों के लिए खोज अनुभव को बेहतर बनाने केलिए तकनालोजी को अपना रहीं हैं। डीबीयू द्वारा थीसिस प्रणाली का यह डिजिटल मूल्यांकन भारत सरकार की डिजिटल इंडिया पहल को आगे बढ़ाने के लिए है।
डिजिटल मूल्यांकन की ओर शिफट देश भगत यूनीवरसिटी की शिक्षक नवीनता में मोहरी रहने की वचनबद्धता को दर्शाता है। शोध के लिए अग्रणीसंस्थानों में से एक के रूप में, देश भगत यूनीवरसिटी हमेशा एक ऐसे माहौल को बढ़ावा देने के लिए समर्पित रहा है जो विद्वानों को उच्च-गुणवत्ता वाले, प्रभावशाली शोध करने में सहायता करता है। यूनिवर्सिटी की अत्याधुनिक शोध सुविधाओं, अनुभवी संकाय मार्गदर्शकों और व्यापक छात्र सेवाओं के कारण डीबीयू में पी एच डी प्रोगराम व्यापक तौर पर प्रसिद्ध है।
इस महत्तवपूर्ण कदम पर बोलते हुए, देश भगत यूनीवरसिटी के चांसलर डा. ज़ोरा सिंह ने कहा कि, डीबीयू में हमारी प्रतिबद्धता यह सुनिश्चित करना है कि विद्वानों को अपने शैक्षणिक प्रयासों में सफल होने के लिए सर्वोत्तम संसाधनों और प्रणालियों तक पहुँच प्राप्त हो। डिजीटल पी एच डी थीसिस मूल्यांकन को अपनाकर, हमारा उद्देश्य छात्रों और मूल्यांकन कर्ताओं दोनों के लिए प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना है। यह कदम गुणवत्तापूर्ण शोध को बढ़ावा देने और समग्र प्रक्रिया को अधिक कुशल, पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ और छात्र-अनुकूल बनाने के हमारे मिशन के अनुरूप है। हमें विश्वास है कि यह डीबीयू में शोध के मानक को बढ़ाएगा और सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने वाले अंत:विषय और आवश्यकता-आधारित शोध को और प्रोत्साहित करेगा।उन्होंने आगे कहा कि देश भगत यूनीवरसिटी द्रारा अपनाई गई थीसिस प्रणाली का यह डिजीटल मूल्यांकन भारत सरकार की डिजीटल इंडिया पहलकदमी को आगे बढाने केलिए है।डा. ज़ोरा सिंह ने बतया कि नई डिजिटल मूल्यांकन प्रणाली छात्रों और परीक्षकों दोनों के लिए कई लाभ प्रदान करती है। पहले, विद्वानों को अपनी थीसिस की कई हार्ड कॉपी जमा करनी होती थी, जो अधिक समय लेने वाली और महंगी दोनों थी। अब, डिजिटल सबमिशन सिस्टम के साथ, प्रक्रिया तेज़, अधिक कुशल और लागत प्रभावी हो गई है। इसके अलावा, यह परिवर्तन प्रिंटिंग के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करता है और मूल्यांकन में देरी को काफी कम करता है।देश भगत यूनीवरसिटी की पहल यह सुनिश्चित करती है कि परीक्षक निर्धारित समय सीमा के भीतर शोध प्रबंधों का मूल्यांकन कर सकें, जिससे प्रक्रिया अधिक जवाबदेह और समय बद्ध हो जाती है। इससे न केवल विद्वानों को लाभ होगा, जिन्हें अब जलदी प्रतिक्रिया मिलेगी, बल्कि मूल्यांकन कर्ताओं को भी लाभ होगा, क्योंकि वे किसी भी स्थान से सुविधाजनक तरीके से काम की समीक्षा कर सकते हैं।डीबीयू ने हमेशा गुणवत्तापूर्ण शोध पर जोर दिया है, विद्वानों को उच्च प्रभाव वाली पत्रिकाओं में प्रकाशित करने और सामाजिक कल्याण में योगदान देने वाले अध्ययनों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया है। एक डिजिटल मूल्यांकन प्लेटफ़ॉर्म पर जाकर, यूनीवरसिटी शोध प्रक्रिया को अधिक सुलभ और कुशल बनाना चाहती है, अंतत: एक ऐसा वातावरण तैयार करना चाहती है जहाँ नवाचार और ज्ञान सृजन पनपे।यह परिवर्तन इस बात का एक और उदाहरण है कि कैसे डीबीयू अकादमिक क्षेत्र में अग्रणी बना हुआ है, तथा यह सुनिश्चित कर रहा है कि इसके विद्वानों को उनके शोध प्रयासों में सफलता पाने के लिए सर्वोत्तम संभव सहायता और संसाधन उपलब्ध हों।