रांची, 14 फरवरी
पुलिस ने एक विशेष अभियान चलाकर झारखंड के चार जिलों रांची, खूंटी, सरायकेला-खरसावां और चाईबासा में करीब 125 करोड़ रुपये की अफीम की खेती नष्ट की है।
5 फरवरी को शुरू हुए इस अभियान में अवैध कारोबार में शामिल 86 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। आधिकारिक पुलिस आंकड़ों के अनुसार, इन जिलों में कुल 9,871 एकड़ क्षेत्र में अफीम की खेती की पहचान की गई है और ट्रैक्टरों और घास काटने वाली मशीनों का उपयोग करके इसे नष्ट कर दिया गया है।
अनुमान है कि अफीम की खेती से प्रति एकड़ तीन से चार किलोग्राम अफीम पैदा होती है, जिसकी बाजार में एक किलोग्राम की कीमत चार से पांच लाख रुपये के बीच है। इस कार्रवाई ने करीब 125 करोड़ रुपये की अफीम को बाजार में पहुंचने से प्रभावी रूप से रोक दिया है।
पुलिस महानिदेशक ने 'जीरो टॉलरेंस पॉलिसी' के तहत अफीम की खेती के खिलाफ विशेष अभियान चलाने का आदेश दिया है।
चारों जिलों के पुलिस अधीक्षकों, 11 डीएसपी और सभी अनुमंडलों में तैनात एसडीपीओ को इस प्रयास का नेतृत्व करने का काम सौंपा गया है। इसके अलावा, पुलिस थानों की सहायता के लिए 1,500 अतिरिक्त बल तैनात किए गए हैं।
चारों जिलों में, खूंटी में सबसे बड़े पैमाने पर अफीम की फसल नष्ट की गई, जिसमें मुरहू, अर्की, खूंटी, सायको और मारंगहाडा थाना क्षेत्रों में 6,473 एकड़ फसल नष्ट की गई और 55 गिरफ्तारियां की गईं।
रांची में, बुंडू, तमाड़, दशम फॉल्स, राहे, सोनाहातु और नामकुम थाना क्षेत्रों में 2,484 एकड़ अफीम की खेती नष्ट की गई, जिसके परिणामस्वरूप 19 गिरफ्तारियां हुईं।
इसी तरह चाईबासा जिले के बंदगांव, टेबो, कराईकेला और टोकलो थाना क्षेत्रों में 394 एकड़ तथा सरायकेला-खरसावां जिले के कुचाई, ईचागढ़, चौका और खरसावां थाना क्षेत्रों में 520 एकड़ में लगी अफीम की फसल को नष्ट कर 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया। अभियान के दौरान लोगों को अफीम की खेती से समाज पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों और इस अवैध गतिविधि में शामिल लोगों के लिए कठोर कानूनी परिणामों के बारे में जागरूक करने के लिए बैठकें आयोजित की गई हैं। लोगों को बताया जा रहा है कि अफीम की अवैध खेती करने पर 20 साल तक की कैद और भारी जुर्माना हो सकता है। दक्षिणी छोटानागपुर के पुलिस महानिरीक्षक अखिलेश झा ने बताया कि गिरफ्तार लोगों की जमीन पर लगी अफीम की खेती को नष्ट करने में जो खर्च आया है, उसकी वसूली भी उनसे की जाएगी। पुलिस सुदूर वन क्षेत्रों में अफीम की खेती का पता लगाने के लिए सैटेलाइट इमेज का भी इस्तेमाल कर रही है।