भोपाल, 29 मार्च
छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित जिले दंतेवाड़ा में शनिवार को पंद्रह माओवादियों ने सुरक्षा बलों के समक्ष आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का संकल्प लिया।
यह घटनाक्रम वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों द्वारा शुरू किए गए ‘लोन वर्राटू’ (घर वापस आओ) अभियान का हिस्सा है, जिसे छत्तीसगढ़ सरकार की ‘पुनर्वास नीति’ का समर्थन प्राप्त है। इस अभियान का उद्देश्य माओवादियों को स्थानीय आदिवासियों पर होने वाली हिंसा, शोषण और अत्याचारों का मार्ग छोड़ने के लिए प्रोत्साहित करके उन्हें समाज में फिर से शामिल करना है। जिला पुलिस बल और सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल) द्वारा गांवों में व्यापक रूप से प्रचारित इस अभियान ने शीर्ष नेताओं सहित कई माओवादियों को आत्मसमर्पण करने और समाज में फिर से शामिल होने की इच्छा व्यक्त करने के लिए सफलतापूर्वक प्रेरित किया है।
शनिवार को इस पहल के तहत 15 माओवादी आगे आए। एक बयान के अनुसार, उनमें से कई माओवादी संगठनों के भीतर आंतरिक संघर्षों और जंगलों में रहने की कठोर वास्तविकताओं को झेल चुके थे। आरएफटी (खुफिया शाखा) दंतेवाड़ा और सीआरपीएफ की 111वीं, 195वीं, 230वीं और 231वीं बटालियनों सहित सुरक्षा बलों ने इन आत्मसमर्पणों को सुगम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आत्मसमर्पण करने वाले व्यक्तियों को छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रदान किए गए कौशल विकास प्रशिक्षण, कृषि भूमि और अन्य पुनर्वास उपायों तक पहुँच के साथ-साथ 25,000 रुपये की वित्तीय सहायता मिलेगी।
छत्तीसगढ़ की नई 'नक्सल आत्मसमर्पण/पीड़ित राहत और पुनर्वास नीति-2025' नक्सल हिंसा के पीड़ितों को अधिक मुआवज़ा, ज़मीन, नौकरी के अवसर और मुफ़्त शिक्षा प्रदान करती है। आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को नकद सहायता, हथियार आत्मसमर्पण के लिए प्रोत्साहन और कानूनी सहायता मिलती है।