नई दिल्ली, 2 जुलाई
एक नए अध्ययन के अनुसार, बार-बार श्वसन संबंधी वायरस और बैक्टीरिया ने बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ावा दिया है, जिससे वे कोविड-19 के सबसे बुरे प्रभावों से बच गए हैं।
जबकि बच्चे वयस्कों की तुलना में सामान्य सर्दी जैसे श्वसन संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं, घातक SARS-CoV-2 वायरस ने उन्हें कम प्रभावित किया, जिसके परिणामस्वरूप वैश्विक स्तर पर लाखों लोगों की जान लेने वाली कोविड-19 महामारी के दौरान अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु की दर कम हुई।
अध्ययन के लिए, अमेरिका में येल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मूल रूप से बाल रोगियों से महामारी के दौरान लिए गए 600 से अधिक नाक के स्वाब का पुन: विश्लेषण किया।
उन्होंने 19 अलग-अलग श्वसन वायरस और बैक्टीरिया के लिए नमूनों की फिर से जांच की, साथ ही जन्मजात प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा उत्पादित एंटीवायरल और सूजन प्रोटीन के स्तर को भी मापा।
जर्नल ऑफ एक्सपेरिमेंटल मेडिसिन में प्रकाशित नतीजों से पता चला कि कई बच्चे - यहां तक कि बिना किसी लक्षण वाले बच्चे भी - SARS-CoV-2 के अलावा अन्य श्वसन रोगजनकों से संक्रमित थे।
शोधकर्ताओं ने कहा, यह छोटे बच्चों के लिए विशेष रूप से सच है, पांच साल से कम उम्र के लगभग 50 प्रतिशत स्पर्शोन्मुख रोगियों में वायरस या संक्रमण पैदा करने वाले बैक्टीरिया पाए गए हैं।
जिन बच्चों में श्वसन रोगज़नक़ों का उच्च स्तर पाया गया उनमें नाक की जन्मजात प्रतिरक्षा गतिविधि का स्तर अधिक था।
यह छोटे बच्चों या किशोरों दोनों में देखा गया। अध्ययन से यह भी पता चलता है कि सामान्य सर्दी के लिए जिम्मेदार राइनोवायरस जैसे अपेक्षाकृत सौम्य रोगजनकों से बार-बार संक्रमित होने से उनकी जन्मजात प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रिय रहती है।