नई दिल्ली, 28 सितंबर
भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) वित्तीय वर्ष 2023-24 में 3,39,066 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो देश के वित्तीय परिदृश्य के लचीलेपन और आकर्षण को रेखांकित करता है। सरकार के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में एफपीआई ने 1,71,248 करोड़ रुपये (साल-दर-साल) निवेश किए हैं।
एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस महीने (26 सितंबर तक) भारतीय इक्विटी में 48,822 करोड़ रुपये डाले। हाल ही में यूएस फेड रेट में कटौती से उत्साहित होकर उन्होंने बाजार में अपना निवेश जारी रखा है।
सूचना और प्रसारण मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत का तेजी से बढ़ता आईपीओ बाजार भी इसकी आर्थिक ताकत का प्रमाण है, हुंडई और एलजी जैसे बहुराष्ट्रीय निगम अब देश में सूचीबद्ध होने का विकल्प चुन रहे हैं।
वित्त वर्ष 2014 में आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) की संख्या 66 प्रतिशत बढ़ी, जो वित्त वर्ष 2013 में 164 से बढ़कर वित्त वर्ष 2014 में 272 हो गई, जबकि इसी अवधि के दौरान जुटाई गई राशि 24 प्रतिशत बढ़कर 54,773 करोड़ रुपये से 67,995 करोड़ रुपये हो गई।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुसार, सितंबर 14 वर्षों में आईपीओ के लिए सबसे व्यस्त महीना होगा।
यह बदलाव वैश्विक वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र में भारत के बढ़ते महत्व को पुष्ट करता है। सीधे तौर पर खरीदारी का विकल्प चुनने के बजाय, ये निगम भारत के अनूठे कारोबारी माहौल में सहयोग के रणनीतिक मूल्य को पहचानते हुए, स्थानीय कंपनियों के साथ तेजी से साझेदारी की तलाश कर रहे हैं।