नई दिल्ली, 8 अक्टूबर
चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद, राष्ट्रीय अंतरिक्ष आयोग ने पांचवें चंद्र मिशन - लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन मिशन या लुपेक्स को मंजूरी दे दी है।
लुपेक्स मिशन चंद्रमा पर पानी और अन्य संसाधनों की खोज करेगा। यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (जेएएक्सए) के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास है।
यह मिशन भारत के बड़े चंद्र रोडमैप का भी हिस्सा है, जिसमें एक अंतरिक्ष यात्री को चंद्रमा पर भेजने और उसे सुरक्षित वापस लाने की परिकल्पना की गई है।
महत्वपूर्ण बात यह है कि लुपेक्स मिशन कथित तौर पर चंद्र सतह पर 100 दिनों तक रह सकता है - चंद्रयान-3 के मिशन जीवन की अवधि से पांच गुना अधिक।
लुपेक्स रोवर और रॉकेट का निर्माण जेएएक्सए द्वारा किया जाएगा, जबकि लैंडर सिस्टम इसरो द्वारा विकसित किया जाएगा। लूपेक्स रोवर, जिसका वजन 350 किलोग्राम हो सकता है, चंद्रयान-3 के प्रज्ञान रोवर से बहुत बड़ा होगा, जिसका वजन 26 किलोग्राम था।
यह मिशन चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (90 डिग्री अक्षांश) पर उतरेगा और पानी तथा अन्य मूल्यवान संसाधनों की खोज करेगा।
इसके अलावा, भारत-जापान मिशन चंद्रमा की सतह पर तथा जमीन के नीचे पानी की मात्रा और वितरण का विश्लेषण करेगा। लूपेक्स चंद्रमा की आधारशिला के ऊपर ढीली चट्टान और धूल की परत - शुष्क रेगोलिथ के साथ पानी के मिश्रण की भी जांच करेगा।
पिछले चंद्र मिशनों ने सफलतापूर्वक परिक्रमा, लैंडिंग और रोवरिंग में अपनी क्षमता दिखाई है, लूपेक्स मिशन स्थायी रूप से छाया वाले क्षेत्रों या चंद्रमा के अंधेरे पक्ष का पता लगाएगा और ड्रिलिंग तथा इन-सीटू प्रयोगों के माध्यम से इसकी सतह पर विशेषज्ञता हासिल करेगा। यह भविष्य के नमूनाकरण मिशनों और 2040 तक चंद्रमा की सतह पर मनुष्यों के उतरने में मदद करेगा।
हाल के दिनों में, भारत और जापान ने चंद्र अन्वेषण में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
अगस्त 2023 में, चंद्रयान-3 के चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने से भारत चंद्रमा पर सफल लैंडिंग करने वाला चौथा देश बन जाएगा, इसके बाद जनवरी 2024 में जापान की स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून (एसएलआईएम) की सफलता होगी, जिससे जापान चंद्रमा पर उतरने वाला पांचवां देश बन जाएगा।