नई दिल्ली, 28 नवंबर 2024:
"भारत का अन्नदाता" नाम से मशहूर पंजाब आज नशे की समस्या से जूझ रहा है। इस मुद्दे ने केवल राज्य की युवा पीढ़ी को ही नहीं, बल्कि पूरे समाज को प्रभावित किया है। इसी गंभीर समस्या को लेकर आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने राज्यसभा में केंद्र सरकार से कुछ बेहद अहम सवाल पूछे। उन्होंने पंजाब में हाल ही में नशे के कारण हुई मौतों और राज्य के युवाओं पर इसके दुष्प्रभावों पर गहरी चिंता व्यक्त की। चड्ढा ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय प्राथमिकता के तौर पर देखते हुए सरकार से ठोस और प्रभावी कदम उठाने की अपील की।
राघव चड्ढा ने राज्यसभा में पंजाब के नशे की समस्या पर सवाल उठाए और सरकार से जवाब मांगा कि पंजाब में नशे से हुई हालिया मौतों के बाद केंद्र सरकार ने क्या कदम उठाए हैं। उन्होंने यह भी पूछा कि पंजाब में NCB (नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) के नए कार्यालयों के खोलने की योजना कब तक पूरी होगी और क्या केंद्र और राज्य पुलिस के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए कोई ठोस कदम उठाए गए हैं। इसके अलावा, उन्होंने यह भी पूछा कि सरकार ने पंजाब में नशे के प्रभाव का अध्ययन किया है और इसके परिणामस्वरूप युवाओं पर क्या असर पड़ा है।
सरकार ने दिए गोलमोल जवाब
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राघव चड्ढा के सवालों का जवाब दिया, लेकिन उनके ज्यादातर जवाब सतही थे। केंद्र ने पंजाब में नशे के खिलाफ कुछ कदमों की जानकारी दी, जैसे NCB कार्यालयों का विस्तार, एंटी-नार्कोटिक्स टास्क फोर्स और विशेष टास्क फोर्स का गठन। लेकिन इस बात का कोई ठोस जवाब नहीं दिया कि इन उपायों से नशे की तस्करी पर कितना काबू पाया गया है। वहीं, नशे से हालिया हुईं मौतों पर सरकार की तरफ से क्या कदम उठाए गए, इसकी कोई जानकारी साझा नहीं की गई। सरकार ने यह भी कहा कि डार्कनेट और क्रिप्टोकरेंसी पर निगरानी के लिए एक विशेष टास्क फोर्स बनाई गई है, लेकिन क्या ये उपाय नशे के संकट को वास्तविक रूप से रोक पाएंगे, यह स्पष्ट नहीं था।
सरकार का जवाब नाकाफी: क्या गंभीर है केंद्र?
सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि सरकार के जवाब से यह साफ प्रतीत होता है कि पंजाब में नशे की समस्या को लेकर केंद्र सरकार का नजरिया अपर्याप्त और टालमटोल वाला है। नशे की तस्करी पर काबू पाने के लिए एजेंसियों को अधिक शक्तियां देने और नए टास्क फोर्स बनाने की घोषणाएं तो की गईं, लेकिन यह सब केवल कागजी बयानबाजी तक ही सीमित रह गया। सरकार ने पंजाब के संदर्भ में किए गए सर्वेक्षण के आंकड़ों को साझा किया, लेकिन क्या इन आंकड़ों के आधार पर कोई ठोस योजना बनाई गई है, यह सवालों का जवाब देना अभी भी बाकी है।
राघव चड्ढा की अपील: नशे के खिलाफ एक मिशन के रूप में काम करें
राघव चड्ढा ने नशे के खिलाफ लड़ाई को केवल कानून व्यवस्था का नहीं, बल्कि एक सामाजिक समस्या के रूप में बताया। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि नशे के खिलाफ लड़ाई को कागजी कार्रवाई और आंकड़ों तक सीमित नहीं रखा जाए, बल्कि एक राष्ट्रीय मिशन की तरह इसे पूरे समाज की जिम्मेदारी के रूप में लिया जाए। उन्होंने कहा, "नशा केवल एक व्यक्ति या परिवार को नहीं, बल्कि पूरे समाज को नुकसान पहुंचाता है। हमें इसे रोकने के लिए सामाजिक, कानूनी और प्रशासनिक स्तर पर समर्पित प्रयास करने होंगे।" उन्होंने सरकार से अपील करते हुए कहा कि नशे के खिलाफ लड़ाई को प्राथमिकता दी जाए और इसे केवल आंकड़ों तक सीमित न रखा जाए। उन्होंने आगे कहा कि हर दिन पंजाब में नशे के कारण किसी का घर उजड़ रहा है। यह समस्या किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे समाज की है। हमें मिलकर इसे खत्म करना होगा। पंजाब, जो कभी हरित क्रांति का प्रतीक था, आज नशे की महामारी का शिकार है। यह केवल पंजाब का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह पूरे देश के भविष्य से जुड़ा हुआ है।
पूरे समाज की जिम्मेदारी
सांसद राघव चड्ढा ने कहा, "पंजाब के युवाओं को नशे की गिरफ्त से बचाना केवल सरकार का कर्तव्य नहीं, बल्कि पूरे समाज की जिम्मेदारी है। हमें इस लड़ाई को एक मिशन की तरह देखना होगा और अपने राज्य को नशा मुक्त बनाना होगा।" उन्होंने आगे कहा कि पंजाब के युवाओं का भविष्य अंधकार में है। नशे के कारण न केवल उनके स्वास्थ्य, बल्कि उनके परिवार और समाज पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
बता दें कि युवा सांसद राघव चढ्डा पजाब को लेकर हमेशा फिक्रमंद रहते हैं। वे लगातार बेहद मुखर तरीके से पंजाब से जुड़े मुद्दों और समस्याओं को लगातार संसद में उठाते रहे हैं। इसी शीतकालीन सत्र में ही उन्होंने अमृतसर से नांदेड़, पटना, गुवाहाटी और धर्मशाला के हवाई कनेक्टिविटी पर चिंता जताते हुए सवाल पूछा था। जिस पर केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री मुरलीधर मोहोल ने लिखित में उत्तर दिया था।