नई दिल्ली, 12 दिसंबर
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार, पिछले दशक (अप्रैल 2014 से सितंबर 2024) में भारत में कुल एफडीआई प्रवाह 709.84 बिलियन डॉलर था, जो पिछले 24 वर्षों में कुल एफडीआई प्रवाह का 68.69 प्रतिशत था, जो 1 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर गया। साल के अंत की समीक्षा गुरुवार को जारी की गई।
समीक्षा में कहा गया है, "इस ऐतिहासिक उपलब्धि को चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान एफडीआई में लगभग 26 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 42.1 अरब डॉलर तक पहुंचने से बल मिला है।"
बयान में कहा गया है कि इस तरह की वृद्धि एक सक्रिय नीति ढांचे, गतिशील कारोबारी माहौल और बढ़ती अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मकता द्वारा संचालित वैश्विक निवेश गंतव्य के रूप में भारत की बढ़ती अपील को दर्शाती है।
एफडीआई ने पर्याप्त गैर-ऋण वित्तीय संसाधन प्रदान करके, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को बढ़ावा देने और रोजगार के अवसर पैदा करके भारत के विकास में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभाई है।
'मेक इन इंडिया', उदारीकृत क्षेत्रीय नीतियों और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसी पहलों ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाया है, जबकि प्रतिस्पर्धी श्रम लागत और रणनीतिक प्रोत्साहन बहुराष्ट्रीय निगमों को आकर्षित करना जारी रखते हैं।
मंत्रालय के अनुसार, एफडीआई आकर्षित करने में भारत की उल्लेखनीय उपलब्धि का श्रेय कई कारकों को दिया जा सकता है।