नई दिल्ली, 20 दिसंबर
शुक्रवार को द लैंसेट साइकियाट्री जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) भारत में एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य बोझ है।
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक न्यूरोलॉजिकल और विकासात्मक विकार है। यह स्थिति प्रमुख रूप से प्रभावित करती है कि लोग दूसरों के साथ कैसे बातचीत करते हैं, संवाद करते हैं और व्यवहार करते हैं।
ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज, इंजरी और रिस्क फैक्टर्स स्टडी (जीबीडी) 2021 पर आधारित अध्ययन, 20 साल से कम उम्र के युवाओं में गैर-घातक स्वास्थ्य बोझ के शीर्ष 10 कारणों में ऑटिज्म को स्थान देता है।
अध्ययन से पता चला कि भारत में 2021 में प्रति 100,000 व्यक्तियों पर एएसडी के 708·1 मामले थे। इनमें से 483·7 महिलाएं थीं, जबकि 921·4 पुरुष थे। 2021 में भारत में एएसडी के कारण प्रति 100,000 व्यक्तियों में से लगभग 140 को खराब स्वास्थ्य और विकलांगता का सामना करना पड़ा।
वैश्विक स्तर पर, 2021 में अनुमानित 61.8 मिलियन लोग, या प्रत्येक 127 व्यक्तियों में से एक ऑटिस्टिक था। अध्ययन में लिंग के आधार पर भारी असमानताएं भी दिखाई गईं।