चंडीगढ़, 25 अप्रैल
हरियाणा सेवा का अधिकार आयोग ने शुक्रवार को कहा कि उसने करनाल शहर में संपदा कार्यालय में पंजीकृत वसीयतों के सत्यापन की प्रक्रिया में अनियमितताओं और पक्षपातपूर्ण आचरण पर कड़ा रुख अपनाया है।
आयोग ने सहायक जिला अटॉर्नी अवतार सिंह सैनी की भूमिका को असंगत और जवाबदेही रहित पाया है।
आयोग के प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि अनियमितताओं के संबंध में जांच से यह स्पष्ट हो गया है कि सत्यापन प्रक्रिया में एकरूपता का पालन नहीं किया गया और चयनित आवेदकों को निशाना बनाकर अनावश्यक रूप से परेशान किया गया।
रिकॉर्ड की समीक्षा में यह भी पाया गया कि अधिकांश फाइलों में की गई टिप्पणियां लगभग एक जैसी थीं और यह कहना मुश्किल है कि सत्यापन प्रक्रिया वास्तव में पूरी हुई थी या नहीं।
आयोग का मानना है कि यह मामला न केवल एक कर्मचारी की लापरवाही को दर्शाता है, बल्कि एक संगठित और योजनाबद्ध उत्पीड़न को दर्शाता है, जिसमें सहायकों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है।
आयोग ने सहायक जिला अटॉर्नी द्वारा अपनी भूमिका से बचने के लिए दिए गए विभिन्न तर्कों को पूरी तरह से खारिज कर दिया और यह स्पष्ट कर दिया कि भले ही उनकी सिफारिशें निर्णायक न हों, लेकिन वह उन्हें उनकी जिम्मेदारी से मुक्त नहीं कर सकते।
अतिरिक्त मुख्य सचिव (नगर एवं ग्राम योजना) को सहायक जिला अटॉर्नी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने तथा आदेश प्राप्त होने की तिथि से 30 दिनों के भीतर इस संबंध में की गई कार्रवाई से आयोग को अवगत कराने का निर्देश दिया है।
इसके अतिरिक्त, आयोग ने हरियाणा सेवा का अधिकार अधिनियम, 2014 की धारा 17 (1) (एच) के तहत कार्रवाई करते हुए अपीलकर्ता को लगातार परेशान किए जाने को बहुत गंभीरता से लिया है तथा शिकायतकर्ता सतीश कुमार अग्रवाल को 5,000 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।
यह मुआवजा हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा अपने कोष से प्रदान किया जाएगा तथा बाद में यह राशि दोषी अधिकारी से वसूल की जाएगी।