चंडीगढ़, 12 दिसंबर
हरियाणा में 45.90 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाले कुल 9,609 रूफटॉप सोलर सिस्टम लगाए गए हैं।
मुख्य सचिव विवेक की अध्यक्षता में प्रधानमंत्री सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना की समीक्षा के लिए आयोजित बैठक में यह तथ्य सामने आया।
सरकार ने सौर ऊर्जा अपनाने को प्रोत्साहित करने के लिए लाभार्थियों को 52.54 करोड़ रुपये की सब्सिडी वितरित की है। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि राज्य सरकार सरकारी भवनों को सौर ऊर्जा संयंत्रों से लैस करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिसमें लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) सरकारी संपत्तियों के डेटा प्रबंधन को कारगर बनाने के लिए एक केंद्रीकृत पोर्टल विकसित कर रहा है।
अब तक 3,011 भवनों के लिए साइट सर्वेक्षण पूरा हो चुका है, जिसमें 91.78 मेगावाट की संभावित सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता की पहचान की गई है। नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग ने CAPEX मॉडल के तहत 8.4 मेगावाट ग्रिड से जुड़ी रूफटॉप सोलर परियोजना के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं।
इसमें कहा गया है कि सरकार नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की सहायता से प्रत्येक जिले में एक आदर्श सौर गांव भी विकसित करेगी, जो ग्रामीण क्षेत्रों में सौर ऊर्जा की परिवर्तनकारी क्षमता को प्रदर्शित करेगा।
इस योजना का उद्देश्य सभी घरों में सौर-आधारित घरेलू प्रकाश व्यवस्था, गांवों में सौर-आधारित जल प्रणाली, कृषि उद्देश्यों के लिए सौर पंप और सौर स्ट्रीट लाइट की स्थापना जैसी प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना है।
मुख्य सचिव ने रेखांकित किया कि बैंक इस योजना के लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण योगदान देंगे। उन्हें बताया गया कि हरियाणा ने पहले ही सौर उपकरणों की स्थापना के लिए उद्योग-उन्मुख पाठ्यक्रम के साथ आईटीआई में 2,700 से अधिक छात्रों को प्रशिक्षित किया है।
इसके अलावा, राज्य में जमीनी स्तर पर स्थापना प्रक्रिया को और अधिक सुव्यवस्थित करने के लिए 100 आईटीआई मास्टर ट्रेनर हैं।
पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना का उद्देश्य भारत में एक करोड़ घरों को मुफ्त बिजली प्रदान करना है।
इसके तहत घरेलू श्रेणी के बिजली उपभोक्ताओं को केंद्रीय वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। साथ ही, राज्य सरकार द्वारा अंत्योदय परिवारों को पहले आओ पहले पाओ के आधार पर राज्य वित्तीय सहायता (एसएफए) प्रदान की जा रही है। इस योजना का उद्देश्य गांवों में हरित और स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंच विकसित करना तथा बिजली बिलों पर पैसे बचाने के अलावा, ग्रामीण समुदायों को अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में अधिक आत्मनिर्भर बनाना है।