नई दिल्ली, 5 मार्च
एक अध्ययन के अनुसार, पिछले 3 दशकों में रजोनिवृत्ति से गुजरने वाली महिलाओं में ऑस्टियोआर्थराइटिस के मामलों की वैश्विक संख्या, साथ ही इस स्थिति से जुड़ी विकलांगता में 130 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।
संयुक्त उपास्थि की गिरावट और क्षति से ऑस्टियोआर्थराइटिस होता है। इसके बाद हड्डी का पुनर्निर्माण, जोड़ों की शिथिलता और पुराना दर्द होता है। अकेले 2020 में, दुनिया भर में अनुमानित 595 मिलियन लोग इस स्थिति के साथ जी रहे थे, जिसमें दुनिया की लगभग 8 प्रतिशत आबादी शामिल थी, जिसमें रजोनिवृत्ति के बाद की महिलाओं में जोखिम बढ़ गया था।
2021 में ऑस्टियोआर्थराइटिस के 14,258,581 नए मामले सामने आए; 278,568,950 मौजूदा मामले; ओपन एक्सेस जर्नल बीएमजे ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित अध्ययन से पता चलता है कि 99,447,16 साल का स्वस्थ जीवन खो गया (डीएएलवाई), जो 1990 के बाद से क्रमशः 133 प्रतिशत, 140 प्रतिशत और 142 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
चीन के शोधकर्ताओं की एक टीम ने कहा, इसका एक कारण यह है कि रजोनिवृत्ति के कारण महिला हार्मोन एस्ट्रोजन के स्तर में गिरावट आती है। उन्होंने बताया कि एस्ट्रोजन की कमी कंकाल के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है और संयुक्त प्रणाली के कार्य और स्थिरता को भी प्रभावित करती है। परिणामी विकलांगता के साथ जीवन जीने वाले कुल वर्षों में से 20 प्रतिशत का कारण अधिक वजन होना है।
चीन में हांग्जो मेडिकल कॉलेज और झेजियांग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने कहा, "रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में [ऑस्टियोआर्थराइटिस] का बोझ लगातार बढ़ रहा है, जो [उनके] वैश्विक स्वास्थ्य पर इसके महत्वपूर्ण प्रभाव को उजागर करता है।"