नई दिल्ली, 12 फरवरी
सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित भारत की खुदरा मुद्रास्फीति दर जनवरी में 4.31 प्रतिशत पर आ गई, जो पांच महीने का निचला स्तर है। इस महीने सब्जियों और दालों की कीमतों में कमी आई, जिससे घरेलू बजट को राहत मिली।
अक्टूबर में 6.21 प्रतिशत के 14 महीने के उच्च स्तर को छूने के बाद मुद्रास्फीति में कमी लगातार गिरावट का रुख दर्शाती है। नवंबर में सीपीआई मुद्रास्फीति 5.48 प्रतिशत और दिसंबर में 5.22 प्रतिशत पर आ गई थी।
जनवरी 2025 में खाद्य मुद्रास्फीति 6.02 प्रतिशत पर अगस्त 2024 के बाद सबसे कम है।
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, "जनवरी के महीने में मुख्य मुद्रास्फीति और खाद्य मुद्रास्फीति में उल्लेखनीय गिरावट मुख्य रूप से सब्जियों, अंडे, दालों, अनाज, शिक्षा, कपड़े और स्वास्थ्य की मुद्रास्फीति में गिरावट के कारण हुई है।" जनवरी में अखिल भारतीय स्तर पर सबसे अधिक मुद्रास्फीति दर्शाने वाली शीर्ष पांच वस्तुएं नारियल तेल (54.20 प्रतिशत), आलू (49.61 प्रतिशत), नारियल (38.71 प्रतिशत), लहसुन (30.65 प्रतिशत), मटर (सब्जियां) (30.17 प्रतिशत) हैं।
जनवरी 2025 में सबसे कम मुद्रास्फीति वाली प्रमुख वस्तुएं जीरा (-32.25 प्रतिशत), अदरक (-30.92 प्रतिशत), सूखी मिर्च (-11.27 प्रतिशत), बैंगन (-9.94 प्रतिशत), एलपीजी (वाहन को छोड़कर) (-9.29 प्रतिशत) हैं।
जनवरी महीने के लिए ईंधन और प्रकाश मुद्रास्फीति की दर साल-दर-साल -1.38 प्रतिशत है। दिसंबर 2024 के महीने के लिए इसी मुद्रास्फीति की दर -1.33 प्रतिशत थी क्योंकि ईंधन की कीमतें कम हो रही हैं।
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच विकास को गति देने के लिए मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में 25 आधार अंकों की कटौती कर इसे 6.5 प्रतिशत से 6.25 प्रतिशत करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति में कमी आई है और उम्मीद है कि इसमें और कमी आएगी तथा यह धीरे-धीरे आरबीआई के लक्ष्य के अनुरूप होगी। मौद्रिक नीति के निर्णय में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने तथा धीमी अर्थव्यवस्था में विकास दर को बढ़ाने के बीच एक नाजुक संतुलन बनाए रखा गया है।
एमपीसी ने सर्वसम्मति से मौद्रिक नीति में अपने तटस्थ रुख को जारी रखने का भी निर्णय लिया तथा विकास को समर्थन देते हुए मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। मल्होत्रा ने कहा कि इससे व्यापक आर्थिक माहौल पर प्रतिक्रिया करने में लचीलापन मिलेगा। अब खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट जारी रहने के कारण आरबीआई के पास व्यवसायों तथा उपभोक्ताओं को अधिक ऋण उपलब्ध कराने के लिए नरम मुद्रा नीति का पालन करने के लिए अधिक गुंजाइश होगी, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।